शब्द का अर्थ
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पापड़ :
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पुं० [सं० पर्पट, प्रा० पप्पड़] उर्द, मूँग आदि दालों, मैदे, चौरेठे आदि अन्नों अथला आलू की बनी हुई एक तरह की मसालेदार पतली चपाती जिसे तल या भूनकर भोजन आदि के साथ खाया जाता है। मुहा०—पापड़ बेलना=(क) कोई काम इस रूप में करना कि वह बिगड़ जाय। (ख) किसी प्रयोजन की सिद्धि के लिए तरह-तरह के और कष्टसाध्य काम करना। (प्रायः ऐसा कामों से सिद्धि नहीं होती)। जैसे—आप सब पापड़ बेल कर बैठे हैं। वि० १. पापड़ की तरह पतला या महीन। २. पापड़ की तरह सूखा और भुरभुरा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पापड़ :
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पुं० [सं० पर्पट, प्रा० पप्पड़] उर्द, मूँग आदि दालों, मैदे, चौरेठे आदि अन्नों अथला आलू की बनी हुई एक तरह की मसालेदार पतली चपाती जिसे तल या भूनकर भोजन आदि के साथ खाया जाता है। मुहा०—पापड़ बेलना=(क) कोई काम इस रूप में करना कि वह बिगड़ जाय। (ख) किसी प्रयोजन की सिद्धि के लिए तरह-तरह के और कष्टसाध्य काम करना। (प्रायः ऐसा कामों से सिद्धि नहीं होती)। जैसे—आप सब पापड़ बेल कर बैठे हैं। वि० १. पापड़ की तरह पतला या महीन। २. पापड़ की तरह सूखा और भुरभुरा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पापड़ा :
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पुं० [सं० पर्पट] १. छोटे आकार का एक पेड़ जो मध्य-प्रदेश बंगाल, मद्रास आदि में उत्पन्न होता है। इसकी लकड़ी से कंघियाँ और खराद की चीजें बनाई जाती हैं। २. दे० ‘पित्त-पापड़ा’। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पापड़ा :
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पुं० [सं० पर्पट] १. छोटे आकार का एक पेड़ जो मध्य-प्रदेश बंगाल, मद्रास आदि में उत्पन्न होता है। इसकी लकड़ी से कंघियाँ और खराद की चीजें बनाई जाती हैं। २. दे० ‘पित्त-पापड़ा’। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पापड़ा-खार :
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पुं० [सं० पर्पटक्षार] केले के पेड़ को जलाकर तैयार किया हुआ क्षार। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पापड़ा-खार :
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पुं० [सं० पर्पटक्षार] केले के पेड़ को जलाकर तैयार किया हुआ क्षार। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पापड़ी :
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स्त्री० [हिं० पापड़ा] एक प्रकार का पेड़ जो मध्यप्रदेश, पंजाब और मदरास में बहुत होता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पापड़ी :
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स्त्री० [हिं० पापड़ा] एक प्रकार का पेड़ जो मध्यप्रदेश, पंजाब और मदरास में बहुत होता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |