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फाड़ना  : स० [सं० स्फाटन, हिं० फाटना] १. कागज, वस्त्र आदि विस्तारवाले किसीपदार्थ का कोई अंश बलपूर्वक इस प्रकार खींचना या तानना कि वह बीच में दूर तक अपने मूल से अलग हो जाय। जैसे—(क) कपड़ा या कागज फाड़ना। (ख) गुबारा फाड़ना। संयो० क्रि०—डालना।—देना।—लेना। २. तेज अस्त्र से किसी चीज पर आघात करके उसे कई अंगों में विभक्त करना। जैसे—कुल्हाड़ी से लकड़ी फाड़ना। ३. किसी नुकीली या पैनी चीज से किसी वस्तु का कोई अंग काटकर अलग करना या निकालना। जैसे—शेर का अपने पंजे से किसी का पेट फाड़ना। विशेष—‘तोड़ना’ और ‘फाड़ना’ में मुख्य अन्तर यह है कि तोड़ना में तो किसी वस्तु का कोई खंड बलपूर्वक अलग कर लेने का भाव-प्रधान है परन्तु फाड़ना में किसी विस्तार में दूर तक वस्तु को बीच से अलग करने का भाव मुख्य हैं। इसके अतिरिक्त कोई चीज पटककर तोड़ी तो जा सकती है परन्तु फाड़ी नहीं जा सकती। ४. किसी गोलाकार वस्तु का मुँह साधारण से अधिक और दूर तक फैलाना या बढ़ाना। जैसे—आँखें फाड़कर मुँह फाड़कर उसमें कोई चीज डालना। ५. किसी गाढ़े द्रव पदार्थ के संबंध में ऐसी क्रिया करना कि उसका जलीय अंश अलग या ठोस अंश अलग हो जाय। जैसे—खटाई डालकर दूध फाड़ना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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