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भगत  : वि० [सं० भक्त] [स्त्री० भगतिन] १. भक्ति करनेवाला। भक्त। २. विचारवान्। पुं० १. साधु या संन्यासी। २. वह जो धार्मिक विचार से मांस-मछली आदि न खाता हो। ३. वैष्णव जो तिलक लगाता और मांस आदि न खाता हो। ४. राजपूताने की एक जाति इस जाति की कन्याएँ वेश्यावृत्ति और नाचने-गाने का काम करती है। दे० ‘भगतिया’। ५. होली मे वह स्वांग जो भक्तों आदि का रचा जाता है। इसमें भगतों का उपहास होता है। ६. श्रंगारस प्रधान तथा लोक-कथा पर आश्रित एक प्रकार का संगीत रूपक जो प्राय नौटंकी (देखें) की तरह होता है प्रायः पुरसा भर ऊंचे मंच पर अभिनीत होता है। इसमें प्रायः व्यंग्य और हास्य का भी अच्छा मिश्रण रहता है। ७. वेश्या के साथ बाजा बजानेवाला संगतिया। (राज०) ८. मंत्र-तंत्र से भूत-प्रेत झाड़नेवाला पुरुष। ओझा। सयाना।
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भगत-बाज  : पुं० [हिं० भगत+फा० बाज] १. स्वांग भरकर लौड़ों को अनेक रूप का बनानेवाला पुरुष २. लौड़ों को नाच-गाना सिखानेवाला व्यक्ति।
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भगत-वछल  : वि० दे० ‘भक्त वत्सल’।
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भगतावना  : स०=भुगतना।
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भगति  : स्त्री०=भक्ति।
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भगतिन  : स्त्री० [हिं० भगत] भक्त स्त्री। स्त्री० [हिं० भगतिया का स्त्री०] रंडी। वेश्या।
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भगतिया  : पुं० [हिं० भक्त] [स्त्री० भगतिन] राजपूताने की एक जाति। कहते है कि ये लोग वैष्णव साधुओं की संतान है जो अब गाने-बजाने का काम करते हैं और जिनकी कन्याएं वेश्यावृत्ति करती और भगतिन कहलाती है।
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भगती  : स्त्री०=भक्ति।
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