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शब्द का अर्थ

मंझ  : अव्य०, पुं०=मध्य (बीच में)।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
मँझधार  : स्त्री० [हिं० मंझली+धार] नदी के बीच की धारा। अव्य० नदी, समुद्र आदि की धारा के बीच में।
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मँझना  : अ०=मँजना।
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मँझरिया  : अव्य० [सं० मध्य०, हिं० माँझ] बीच में। मध्य में। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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मँझला  : वि० [सं० मध्य, पुं० हिं० मँझ+ला (प्रत्य०)] [स्त्री० मंझली] वय, स्थिति आदि के विचार से बीच या मध्य का। जैसे—मँझला मकान (दो मकानों के बीच का मकान), मँझला लड़का।
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मँझा  : वि० [सं० मध्य; पा० मंझ] १. जो दो के बीच में हो। बीचवाला। २. दे० ‘मँझला’। पुं० [सं० मध्य०; पा० मज्झ] १. सूत कातने के चरखे में वह मध्य का अवयव जिसके ऊपर माल रहती है। मुँडला। २. अटेरन के बीच की लकड़ी। स्त्री० [सं० मध्य०; पा० मज्झ] वह भूमि जो गोयंड और पालों के बीच में पड़ती हो। पुं० [सं० मंच] १. पलंग। खाट। (पंजाब) २. चौकी। ३. मचिया। मुहा०—मंझा बैठना=एक ही आसन से या स्थिति में अच्छी तरह जम कर बैठना। पुं० [हिं० माँजना] वह पदार्थ जिससे रस्सी या पलंग की डोर माँजते हैं। माँझा। मुहा०—माँझा देना=डोरी, रस्सी आदि पर मंझा या माँझा लगाना।
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मंझाना  : स० [हिं० माँझ=बीच] बीच में डालना, रखना या लाना। अ० बीच में पड़ना या होना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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मँझार  : स्त्री०, अव्य०=मँझधार।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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मँझियार  : वि० [सं० मध्य, प्रा० मज्झ] मध्य का। बीच का।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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मँझोला  : वि० [सं० मध्य, पुं० हिं० मँझ+ओला (प्रत्य०)] आकार, मान आदि के विचार से बीच या मध्य का। जो न बहुत बड़ा ही हो और न बहुत छोटा ही हो। जैसे—मँझोला।
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मँझोली  : स्त्री०=मझोली।
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