शब्द का अर्थ
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					मर्कट					 :
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					पुं० [सं०√मर्क्+अटज्] १. बंदर। २. मकड़ा। ३. हड़गीला। ४. एक प्रकार का विष। ५. दोहे का वह भेद जिसमें १७ गुरु और १४ लघु मात्राएँ होती हैं। ६. छप्पय का एक भेद।				 | 
			
			
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					मर्कट-तिंदुक					 :
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					पुं० [सं० मध्य० स०] कुपीलु।				 | 
			
			
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					मर्कट-पिप्पली					 :
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					स्त्री० [सं० ष० त०] अपमार्ग। चिचड़ा।				 | 
			
			
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					मर्कट-प्रिय					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] खिरनी का पेड़ और उसका फल।				 | 
			
			
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					मर्कट-वास					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] मकड़ी का जाला।				 | 
			
			
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					मर्कट-शीर्ष					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] हिंगुल।				 | 
			
			
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					मर्कटक					 :
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					पुं० [सं मर्कटजे कन्] १. बंदर। २. मकड़ा। ३. एक प्रकार की मछली। ४. मड़आ नामक कदन्न। ५. मकरा नामक घास।				 | 
			
			
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					मर्कटपाल					 :
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					पुं० [सं० मर्कट√पाल् (बचाना)+णिच्+अच्] सुग्रीव।				 | 
			
			
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					मर्कटी					 :
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					स्त्री० [सं० मर्कट+ङीष्] १. बंदरी। मादा बन्दर। बँदरिया। २. मकड़ी। ३. केवाँच। कौंछ। ४. अपामार्ग। चिचड़ा। ५. अजमोदा। ६. एक प्रकार का करंज। ७. छंदशास्त्र में ९ प्रत्ययों में से अन्तिम प्रत्यय जिसके द्वारा मात्रा के प्रस्तार में छंद के लघु, गुरु, कला और वर्णों की संख्या का परिज्ञान होता है।				 | 
			
			
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					मर्कटेंदु					 :
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					पुं० [सं० मर्कट-इंदु, स० त०] कुचला।				 | 
			
			
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