शब्द का अर्थ
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					महाय					 :
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					वि० [सं० महा] १. बहुत बड़ा। महान्। २. बहुत अधिक महा। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					महायक्ष					 :
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					पुं० [सं० महत्-यक्ष, कर्म० स०] १. यक्षों का राजा। २. एक प्रकार के बौद्ध देवता।				 | 
			
			
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					महायज्ञ					 :
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					पुं० [सं० महत्-यज्ञ, कर्म० स०] १. बहुत बड़ा यज्ञ। २. हिन्दू धर्मशास्त्र के अनुसार नित्य किये जानेवाले पाँच प्रमुख धार्मिक कर्म। पंचयज्ञ।				 | 
			
			
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					महायम					 :
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					पुं० [सं० महत्-यम, कर्म० स०] यमराज।				 | 
			
			
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					महायात्रा					 :
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					स्त्री० [सं० महती-यात्रा, कर्म० स०] मृत्यु।				 | 
			
			
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					महायान					 :
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					पुं० [सं० महत्-यान, कर्म० स०] १. उत्तम, प्रशस्त और श्रेष्ठ मार्ग। २. बौद्ध धर्म की वह भक्ति प्रधान शाखा या सम्प्रदाय जो हीनयान की तुलना में बहुत श्रेष्ठ माना जाता था और जिसका आरम्भ सम्भवतः कनिष्क के समय हुआ था। इसमें उदारता, परोपकार, सदाचार आदि तत्त्वों की प्रधानता थी। बोधिसत्व की भावना और बुद्ध भगवान् की प्रतिमाएँ बनाकर उनकी पूजा करने की प्रणाली इसी मत से निकली थी। यह नामकरण बौद्धों की पूर्वी शाखा ने किया था।				 | 
			
			
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					महायानी (निन्)					 :
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					वि० [सं० महायान+इनि] महायान सम्बन्धी। महायान का। पुं० महायान मत या सम्प्रदाय का अनुयायी।				 | 
			
			
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					महायुग					 :
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					पुं० [सं० महत्-युग, कर्म० स०] चारों ओर का समूह। चौकड़ी।				 | 
			
			
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					महायुत					 :
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					पुं० [सं० महत्-अयुत, कर्म० स०] सौ अयुत की संख्या की संज्ञा।				 | 
			
			
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					महायुद्ध					 :
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					पुं० [सं० महत्-युद्ध, कर्म० स०] बहुत बड़े तथा व्यापक भू-भाग में लड़ा जानेवाला ऐसा युद्ध जिमसें अनेक राष्ट्र सम्मिलित हों और जिसमें बहुत अधिक नर-संहार तथा विनाश हो। (ग्रेट बार)। जैसे—प्रथम या द्वितीय महायुद्ध।				 | 
			
			
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					महायुध					 :
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					पुं० [सं० महत्-आयुध, ब० स०] शिव।				 | 
			
			
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					महायोगी (गिन्)					 :
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					पुं० [महत्-योगिन्, कर्म० स०] १. बहुत बड़ा योगी। २. शिव। ३. विष्णु। ४. मुर्गा।				 | 
			
			
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					महायोगेश्वर					 :
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					पुं० [सं० महत्-योगेश्वर, कर्म० स०] पितामह, पुलस्त्य वसिष्ठ पुलह अंगिरा ऋतु और कश्यप जो बहुत बड़े ऋषि और योगी माने गये हैं।				 | 
			
			
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					महायोगेश्वरी					 :
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					स्त्री० [सं० महती-योगेश्वरी, कर्म० स०] १. दुर्गा। नागदौन।				 | 
			
			
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					महायोजन					 :
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					पुं० [सं० महत्-आयोजन, कर्म० स०] बहुत बड़ा आयोजन। महत् आयोजन।				 | 
			
			
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					महायोनि					 :
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					स्त्री० [सं० महती-योनि, कर्म० स० या ब० स०] योनि के अधिक फैलने का एक रोग (वैद्यक)।				 | 
			
			
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