शब्द का अर्थ
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मार्ज :
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पुं० [सं०√मृज् (शुद्ध करना)+णिच्+अच्] १. विष्णु। २. धोबी। ३. [√मृज्+घञ्] मार्जन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
मार्जक :
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वि० [सं०√मृज्+ण्वुल्—अक] मार्जन करनेवाला। |
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मार्जन :
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स्त्री० [सं०√मृज् (शुद्ध करना)+णिच्+ल्युट्—अन] १. दोष। मल आदि दूर करके साफ करने की किया या भाव। सफाई। २. अपने ऊपर जल छिड़ककर अपने आपको शुद्ध करना। ३. भूल, दोष आदि का परिहार। ४. लोध नामक वृक्ष। |
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मार्जना :
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स्त्री० [सं०√मृज्+णिच्+युच्—अन,+टाप्] १. मार्जन करने की किया या भाव। सफाई। २. क्षमा। माफी। |
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मार्जनी :
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स्त्री० [सं० मार्जन+ङीप्] १. झाड़ू। बुहारी। २. संगीत में मध्यम स्वर की एक श्रुति। |
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मार्जनीय :
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[सं० √मृज्+णिच्+अनीयर] अग्नि। वि० जिसका मार्जन होना आवश्यक या उचित हो। मार्जन के योग्य। |
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मार्जार :
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पुं० [सं०√मृज्+आरन्, [स्त्री० मार्जनी] १. बिल्ली। २. लाल-चीते का पेड़। ३. पूति सारिवा। |
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मार्जारक :
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पुं० [सं० मार्जार+कन्] मोर। |
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मार्जारकर्षिका :
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स्त्री० [सं० मार्जार-कर्ण, ब० स० ङोप्+कन्०+टाप्, ह्नस्व] चामुंडा (दुर्गा का एक रूप) का एक नाम। |
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मार्जारपाद :
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पुं० [सं० ब० स०] एक प्रकार का बुरे लक्षणोंवाला घोड़ा। |
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मार्जाराक्षक :
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पुं० [सं० मार्जार-अक्षि, ब, स, षच्+कन्] एक प्रकार का रत्न। (कौ०) |
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मार्जारी :
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स्त्री० [सं० मार्जार+ङीप्] १. बिल्ली। २. कस्तूरी। ३. गन्धनाकुली। |
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मार्जारी टोड़ी :
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स्त्री० [सं० मार्जारी+हि० टोड़ी] सम्पूर्ण जाति की एक रागिनी जिसमें सब कोमल स्वर लगते है। |
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मार्जारीय :
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पुं० सं० मार्जाय+छ—ईय] १. बिल्ली। २. शूद्र। वि० मार्जन करनेवाला। |
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मार्जाल :
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पुं० =मार्जाय। |
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मार्जालीय :
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पुं० [सं०√मृज्+अलीयच्] १. बिल्ली। २. शूद्र। ३. शिव। ४. एक प्राचीन ऋषि। वि०=मार्जारीय। |
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मार्जित :
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भू० कृ० [सं√मृज् (शुद्ध करना)+णिच्=क्त] जिसका मार्जन हुआ हो या किया गया हो। साफ या स्वच्छ किया हुआ। पुं० एक प्रकार का श्रीखण्ड जो दही, कपूर, चीनी शहद और मिर्च आदि मिलाकर बनाया जाता था। |
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