शब्द का अर्थ
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					मास					 :
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					पुं० [सं० √मस् (परिणाम)+ घञ्] काल का एक विभाग जो वर्ष के बारहवें भाग के बराबर होता है। महीना। विशेष—मास या महीना साधारणतः ३. दिनों का माना जाता है; परन्तु चांद्र, सौर आदि गणनाओं के अनुसार कभी-कभी एक दिन अधिक या कम का भी होता है। इसके सिवा नाक्षत्र मास और सावन मास भी होते है, जिनका विवेचन उक्त शब्दों के अन्तर्गत मिलेगा। पद—अधिमास, मल-मास। पुं० =मांस (गोश्त)। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					मास-ताला					 :
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					पुं० [सं० ब० स०,+टाप्] एक प्रकार का बाजा।				 | 
			
			
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					मास-फल					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] गणित ज्योतिष में, किसी की जन्म-कुंडली के अनुसार किसी एक महीने का फल। (वर्ष-फल की तरह)				 | 
			
			
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					मास-भृत					 :
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					पुं० [सं० तृ० त०] वह मजदूर जिसे मासिक वेतन मिलता हो।				 | 
			
			
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					मास-मान					 :
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					पुं० [ब० स०] वर्ष।				 | 
			
			
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					मास-स्तोम					 :
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					पुं० [सं० मध्य० स०] एक यज्ञ।				 | 
			
			
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					मासक					 :
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					पुं० [सं० मास+कन्] महीना। मास।				 | 
			
			
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					मासज्ञ					 :
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					पुं० [सं० मास√ज्ञा (जानना)+क] १. दात्यूह नामक पक्षी। बनमुर्गी। २. एक प्रकार का हिरन।				 | 
			
			
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					मासना					 :
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					अ० [सं० मिश्रण हिं० मीसना] मिलना। स० =मिलाना। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					मासर					 :
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					पुं० [सं०√मस् (परिणाम)+णिच+अरन्] १. एक प्रकार का मादक पेय पदार्थ जो चावल के माँड़ और अंगूरों के उठे हुए रस से बनाया जाता था। २. काँजी।				 | 
			
			
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					मासा					 :
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					पुं० =माशा।				 | 
			
			
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					मासांत					 :
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					पुं० [सं० मास-अन्त० ष० त०] १. महीने का अंत। २. महीने का अन्तिम दिन। ३. अमावस्या। ४. सौर संक्रान्ति का दिन।				 | 
			
			
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					मासाधिप					 :
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					पुं० [सं० मास-अधिप, ष० त०] वह ग्रह जो मास का स्वामीहो। मासेश।				 | 
			
			
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					मासानुमासिक					 :
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					वि० [सं० ष० त०] प्रतिमास संबंधी। प्रतिमास का।				 | 
			
			
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					मासावधिक					 :
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					वि० [सं० मास-अवधि, ब० स०+कप्] जिसकी अवधि एक मास पर्यंत हो।				 | 
			
			
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					मासिक					 :
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					वि० [सं० मास+ठञ्—इक] १. मास-सम्बन्धी। २. मास मास पर नियमित रूप से होनेवाला। पुं० दे० ‘मासिक-धर्म’।				 | 
			
			
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					मासिक-धर्म					 :
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					पुं० [सं० कर्म० स०] स्त्रियों को प्रति मास होनेवाला रज-स्त्राव।				 | 
			
			
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					मासी					 :
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					स्त्री० [सं० मातृष्वसा; पा० मातुच्छा; प्रा० मउच्छा] सम्बन्ध के विचार से माँ की बहन। मौसी।				 | 
			
			
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					मासीन					 :
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					वि० [सं० मास+खञ्—ईन] एक महीने की अवस्थावाला।				 | 
			
			
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					मासुरकर्ण					 :
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					पुं० [सं० मसुरकर्ण+अण्] मसुकर्ण के गोत्र में उत्पन्न पुरुष।				 | 
			
			
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					मासुरी					 :
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					स्त्री० [सं० मसुर+अण्+ङीप्] चीर-फाड़ के काम में आनेवाला एक प्राचीन शस्त्र या औजार।				 | 
			
			
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					मासूम					 :
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					वि० [अं०] १ जिसने कोई अपराध या दोष न किया हो। निरपराध। बेगुनाह। २. कलुष या पाप से रहित। ३. जो हर प्रकार से असमर्थ, निर्दोष तथा दया का पात्र हो। जैसे—मासूम बच्चा।				 | 
			
			
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					मासूमियत					 :
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					स्त्री० [अ०] मासूम होने की अवस्था या भाव।				 | 
			
			
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					मासूर					 :
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					वि० [सं० मसूर+अण्] १. मसूर-सम्बन्धी। मसूर का। २. मसूर की आकृति का।				 | 
			
			
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					मासेष्टि					 :
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					स्त्री० [सं० मास-इष्टि मध्य० स०] वह इष्टि या यज्ञ जो पतिमास किया जाता हो।				 | 
			
			
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					मासोपवास					 :
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					पुं० [सं० मास-उपवास, मध्य० स०] १. लगातार महीने भर तक किया जानेवाला उपवास। २. आश्विन शुक्ल ११ से कार्तिक शुक्ल ११ तक किया जानेवाला एक प्रकार का उपवास जिसका विधान गरुड़ पुराण में है।				 | 
			
			
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					मासोपवासी (सिन्)					 :
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					पुं० [सं० मास-उपवास, मध्य० स०,+इनि] वह जो मासोपवास अर्थात् लगातार महीने भर तक उपवास करता हो।				 | 
			
			
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					मास्					 :
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					पुं० [सं०√मा (मानना)+असुन्] १. चंद्रमा। २. महीना। मास।				 | 
			
			
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					मास्टर					 :
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					पुं० [अं०] [भाव० मास्टरी] १. स्वामी। मालिक। २. अध्यापक। शिक्षक। ३. किसी कला, गुण, विद्या या विषय में निष्णात्त व्यक्ति। ४. छोटे बच्चों के लिए एक प्रकार का प्रेमपूर्ण सम्बोधन।				 | 
			
			
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					मास्टरी					 :
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					स्त्री० [अं० मास्टर+ई (प्रत्य०)] १. मास्टर अर्थात् अध्यापक का काम, पद या पेशा। २. किसी कला, हुनर आदि में निष्णात्त होने की अवस्था या भाव।				 | 
			
			
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					मास्तिष्क्य					 :
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					वि० [सं० मस्तिष्क+व्यज्] मस्तिष्क-संबंधी। मस्तिष्क का। जैसे—मास्तिष्क्य चित्रण।				 | 
			
			
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					मास्य					 :
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					वि० [सं, मास+ यत्] महीने भर का। मासीन।				 | 
			
			
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