शब्द का अर्थ
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					मुरदा					 :
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					पुं० [फा० मुर्दः] मृत प्राणी। शव। पद—मूरदे का माल=ऐसा माल जिसका कोई वारिश न हो। वि० १. मरा हुआ। मृत। २. इतना अधिक दुर्बल या शक्तिहीन कि मरे हुए के समान जान पड़े। ३. बहुत ही कुम्हलाया, मुरझाया या सूखा हुआ। जैसे—मुरदा पान, मुरदा फल। मुहावरा—(किसी का) मुरदा उठना=मर जाना (गाली)। जैसे—उसका मुरदा उठे। मुरदा उठाना=शव को अंत्येष्टि क्रिया के लिए ले जाना। मुरदों से शर्त बाँधकर सोना=बहुत अधिक और गहरी नींद में सोना।				 | 
			
			
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					मुरदा-घर					 :
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					पुं० [हिं०] वह स्थान जहाँ मृतक व्यक्तियों के शव तक रखे जाते हैं, जब तक उन्हें गाड़ने या जलाने की व्यवस्था न हो। (मॉर्टुअरी) विशेष—ऐसे स्थान प्रायः युद्ध-क्षेत्रों में अस्थायी रूप से नियत किये जाते हैं।				 | 
			
			
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					मुरदा-दिल					 :
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					वि० [हिं०+फा०] [भाव० मुरदादिली] जिसमें कुछ भी उत्साह या उमंग न रह गयी हो। बहुत ही खिन्न तथा हतोत्साह।				 | 
			
			
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					मुरदार					 :
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					वि० [फा० मुर्दार] [भाव० मुरदारी] १. जो अपनी मौत से मरा हो। २. मृत। ३. अपवित्र। ४. दुर्बल। पुं० वह पशु जो अपनी मौत से मरा हो। (ऐसे पशु का मांस खाना धार्मिक दृष्टि से वर्जित है।)				 | 
			
			
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					मुरदारी					 :
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					स्त्री० [फा०] मुरदार होने की अवस्था या भाव।				 | 
			
			
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					मुरदावली					 :
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					वि० [हिं० मुर्दा] १. मृतक के संबंध का। मुरदे का। २. बहुत ही तुच्छ या निम्न कोटि का। रद्दी। स्त्री०=मुर्दनी।				 | 
			
			
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					मुरदासंख					 :
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					पुं० [फा० मुर्दासंग] फूँके हुए सीसे और सिंदूर का मिश्रण जो औषध के रूप में व्यवहृत होता है।				 | 
			
			
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					मुरदासन					 :
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					पुं०=मुरदासंख(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)।				 | 
			
			
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					मुरदासिंघी					 :
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					स्त्री०=मुरदासंख। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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