शब्द का अर्थ
			 | 
		
					
				| 
					मों					 :
				 | 
				
					सर्व० [सं० मम] १. ब्रजभाषा में ‘मैं’ का कर्ता से भिन्न अन्य कारकों में विभक्ति लगने से पहले बना हुआ रूप। जैसे—मोंको, मोपै, इत्यादि। २. मुझे। मुझको। अव्य० में। उदाहरण—खोलि कपाट महल मों जाहीं।—कबीर।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					मोंगरा					 :
				 | 
				
					पुं० १. =मोगरा। २. =मुँगरा।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					मोंगला					 :
				 | 
				
					पुं० [देश] मध्यम श्रेणी का केसर। पुं० =मुँगरा। पुं० =मोगरा। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					मोंछ					 :
				 | 
				
					स्त्री०=मूँछ। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					मोंड़ा					 :
				 | 
				
					पुं० [पं० मुंडा] १. बालक। २. पुत्र।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					मोंढा					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० मूर्द्धा, प्रा० मूड्ढा=आधार] १. बाँस, सरकंडे या बेंत का बना हुआ एक प्रकार का ऊँचा गोलाकार आसन जो प्रायः तिरपाई से मिलता-जुलता होता है। माँचा। २. बाहु के जोड़ के पास कंधे का घेरा। कंधा। पद—सीना-मोंढ़ा। (देखें)				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 |