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अनुप्रास  : पुं० [सं० प्रा० स०] वह शब्दालंकार जिसमें किसी पद में एक ही अक्षर या वर्ण अथवा स्वर-सहित अक्षर या वर्ण की बार आते हैं। वर्ण-वृत्ति। वर्ण-मैत्री। (एलिटरेशन) उदाहरण—मणि, मणीन्द्र, माणिक्य, मेघमणि, मौक्तिक माला, तोरण-बन्दनवार-विभूषित नगरी बाला।—आनंदकुमार। विशेष—इसके छेक, वुत्य, श्रुत्य, लाट अन्त्य और पुनरूक्त वदाभास ये छः भेद हैं।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
अनुप्रास-हीन  : वि० [सं० तृ० त०] (पाश्चात्य ढंग की नये प्रकार की कविता) जिसके अंत में अनुप्रास या तुक मिलाने का ध्यान न रखा गया हो। (ब्लैकवर्स)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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