शब्द का अर्थ
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कलक :
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पुं० [अ० कल्क] १. घबराहट। बेचैनी। २. खेद। दुःख। पुं० [सं०] झरने के जल के गिरने या नदियों के बहने से होनेवाला शब्द कल-नाद। पुं०=कल्क। |
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समानार्थी शब्द-
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कलकना :
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स० [हिं० कलकल=शब्द] १. कलकल या मघुर शब्द करना। २. बहुत जोर से चिल्लाना। चीत्कार करना। अ० शब्द होना। |
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कलकलाना :
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सं० [अन्] कल-कल शब्द करना। अ० १. कल-कल शब्द होना। २. शरीर के किसी अंग में हलकी खुजली, चुनचुनी या सुरसुरी होना। जैसे—हाथ या पैर कलकलाना। ३. लाक्षणिक रूप में किसी प्रकार की प्रवृत्ति होना। जैसे—चपत लगाने के लिए हाथ कलकलाना, मार खाने के लिए पीठ कलकलाना। |
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कलकानि :
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स्त्री० [अ० कलक=रंज] १. मन में होनेवाली घबराहट। चितां। बेचैनी। २. दुःख। स्त्री० [हिं० कलकल] कलह। झगड़ा। |
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कलक्टर :
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पुं० [अ० कलेक्टर] राज्य द्वारा नियुक्त किसी जिले या मंडल का प्रधान शासक। वि० एकत्र करनेवाला। जैसे—टिकट कलक्टर, बिल कलक्टर। |
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कलक्टरी :
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स्त्री० [हि० कलक्टर] १. कलक्टर का कार्य या पद। २. कलक्टर का कार्यालय । वि० कलक्टरसंबंधी। कलक्टर का। जैसे—कलक्टरी कचहरी। |
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