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शब्द का अर्थ

कलुष  : पुं० [सं०√कल्+उपच्] [षि० कलुषित, कलुषी] १. काले अर्थात् दूषित या मलिन होने की अवस्था या भाव। मलिनता। मैल। जैसे—मन का कलुष। २. अपवित्रता। ३. कोई बुरी बात या दूषित भाव। ऐब। दोष। ४. पातक। पाप। ५. क्रोध। गुस्सा। ६. भैंसा। ७. कलंक। बदनामी। वि० [स्त्री० कलुषा, कलुषी] १. गँदला। मैला। २. गर्हित। निंदनीय। बुरा। ३. दोषी। ४. पापी।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
कलुष-चेता (तस्)  : पुं० [सं० ब० स०] १. जिसके मन में कलुष या पाप हो। २. जिसकी प्रवृत्ति बराबर बुरे कामों की ओर रहती हो।
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कलुष-योनि  : पुं० [ब० स०] वर्णसंकर। दोगला।
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कलुषाई  : स्त्री० [सं० कलुष+हिं० आई प्रत्य०] १. बुद्धि की मलिनता। २. अपवित्रता। अशुद्धता।
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कलुषित  : वि० [सं० कलुष+इतच्] १. जो कलुष से युक्त हो। गंदा और मैला। २. अपवित्रता। ३. खराब। निंदित। बुरा। ४. दुःखी ५. क्षुब्ध। ६. काला। कृष्ण।
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कलुषी  : (षिन्) वि० [सं० कलुष+इनि] १. (व्यक्ति) जो मानसिक या शारीरिक दृष्टि से अपवित्र या मलिन हो। २. दोषी। ३. पापी।
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