शब्द का अर्थ
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काग :
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स्त्री० [सं० काक] १. कौआ। वायस। २. श्राद्ध आदि में कौओं को दिया जानेवाला उनका अंश। जैसे—कागै, काग, न भिखारी भीख।—कंजूस के संबंध में कहा०। पुं० [अं० कार्क] १. बबूल की जाति का एक बड़ा पेड़ जिसकी मुलायम लचीली और हलकी छाल से बोतलों, शीशियों आदि के मुंह बंद करने के लिए डाट बनते हैं। २. उक्त वृक्ष की छाल से बने हुए वे गोलाकार डाट जो बोतलों, शीशियों आदि के मुँह बंद करने के काम आते हैं। |
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समानार्थी शब्द-
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कागज :
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पुं० [अ०] [वि० कागजी] १. कपड़े के चिथड़ों कई प्रकार की घासों, बाँसों आदि को गलाकर उनके गूदे से बनाया जानेवाला एक प्रसिद्ध पदार्थ जिस पर कलम, पेंसिल आदि से लिखा जाता है। मुहावरा—कागज काला करना=(क) कागज पर कुछ लिखना। (ख) यों ही या व्यर्थ मे लिखना। कागज रँगना=बहुत-से कागजों को व्यर्थ का विस्तार करते हुए लिख-लिखकर भरना। कागज के (या कागजी) घोड़े दौड़ाना=केवल पत्र आदि लिखकर कहीं या किसी के पास भेजना। पद—कागज की नाव=ऐसी वस्तु जिसका अस्तित्व बहुत ही अस्थायी या क्षणिक हो। २. ऐसी आवश्यक पत्र, लेख्य आदि जिनका कुछ विधिक महत्त्व हो। जैसे—वकील को कागज दिखाना पद—कागज पत्र=दस्तावेज। ३. समाचार-पत्र (बंगाल)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कागजात :
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पुं० [अ० कागज का बहु०] बहुत-से कागज-पत्र। |
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कागजी :
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वि० [अ० कागज] १. कागज का बना हुआ। २. कागज पर लिखकर किया जानेवाला। जैसे—कागजी कार्रवाही। ३. कागज पर लिखा हुआ। जैसे—कागजी सबूत। ४. कुछ विशिष्ट फलों के संबंध में जिनका छीलका पतला, मुलायम या हलका होता हो। जैसे—कागजी नींबू, कागजी बादाम। पुं० कागज-विक्रेता। |
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कागजी बादाम :
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पुं० [फा०] एक प्रकार का बादाम जिसका ऊपरी छिलका अपेक्ष्या पतला तथा मुलायम होता है। (कड़े और मोटे छिलकेवाला बादाम ‘काठा’ कहलाता है।) |
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कागजी-नीबू :
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पुं० [हिं०] पतले तथा मुलायम छिलकेवाला एक प्रकार का बढ़िया नीबू। |
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कागद :
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पुं० =कागज।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कागभुसुंड, कागभुसुंडि :
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=काकभुसुंडि। |
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कागमारी :
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स्त्री० [?] एक प्रकार की नाव। |
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कागर :
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पुं० [अ० कागज] १. लिखने का कागज। उदाहरण—सात सरग जौं कागर करई।—जायसी। २. पक्षियों के पंख या पर जो कागज की तरह पतले और हलके होते हैं।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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कागरी :
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वि० [हिं० कागर=कागज] १. कागज की तरह पतला और हलका। २. तुच्छ। हीन।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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कागल :
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पुं० =कागज। उदाहरण—लिखि राखे कागल नख लेखरिया।—प्रिथीराज। |
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कागला :
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पुं० [सं० कालक] १. गले की घंटी। २. कौआ। (राज)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कागा :
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पुं० [सं० काक] काक (कौए) का संबोधन कारक में होनेवाला रूप। जैसे—कागा, नैन निकाल दूँ, पिया पास ले जाव। |
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कागाबासी :
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स्त्री० [हिं० काग+बासी] सवेरे-सवेरे पी जानेवाली भाँग। पुं० काले रंग का एक प्रकार का मोती। |
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कागारोल :
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पुं० [हिं० काग=कौवा+रोर=शोर] कौओं की तरह मचाया जानेवाला हो-हल्ला। बहुत अधिक और बेढंगा हुल्लड़ या शोरगुल। |
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कागिया :
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स्त्री० [देश] तिब्बत में होनेवाली एक प्रकार की भेड़। पुं० [हिं० काग=कौआ] बाजरे की फसल में लगनेवाला एक प्रकार का काला कीड़ा। |
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कागौर :
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पुं० [सं० काकबलि] पितरों कें श्राद्ध आदि फसल में कव्य का वह भाग जो कौए के लिए निकाला जाता है। |
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