शब्द का अर्थ
|
कारु :
|
पुं० [सं०√कृ+उण्] १. कारीगर। शिल्पी। २. जुलाहा। बुनकर। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कारुक :
|
पुं० [कारू+कन्] दे० ‘कारु’। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कारुज :
|
पुं० [सं० कारु√जन् (उत्पन्न होना)+ड] १. कारीगर की बनाई कोई कृति या वस्तु। २. शरीर के तिल आदि। ३. [क-आ√रूज् (भंग)+क] हाथी का बच्चा। ४. गेरू। ५. वाल्मकि। ६. फेन। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कारुणिक :
|
वि० [सं० करुणा+ठक्-इक] १. करुणा से युक्त। २. जिसे देखकर मन में करुणा उत्पन्न होती हो। जैसे—कारुणिक दृश्य। ३. (व्यक्ति) जिसमें करुणा हो। दयार्द्र। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कारुण्य :
|
पुं० [सं० करुण+ष्यञ्] करुण होने की अवस्था या भाव। करुणा। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कारुनीक :
|
वि०=कारुणिक।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कारुपथ :
|
पुं० =कारापथ। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |