शब्द का अर्थ
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कुप :
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पुं० [देश०] घास, भूसा पुआल आदि का ढेर जो खलिहान में लगाया जाता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुपक :
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पुं० एक प्रकार का सुरीला पक्षी जो प्रायः पाला जाता है। |
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कुपढ़ :
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वि० [सं० कु+हिं० पढ़ना] १. अनपढ़। अ-शिक्षित। २. बेवकूफ। मूर्ख। |
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कुपत्थ :
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पुं० =कुपथ्य।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुपत्थी :
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वि० [सं० कुपथ्य] कुपथ्य करनेवाला। असंयमी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुपंथ :
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वि० [सं० कुपथ] १. कुपथ। बुरा मार्ग। २. दुराचरण। निषिद्ध आचरण। ३. बुरा मत। |
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कुपथ :
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पुं० [सं० कुगति० स०] १. कुमार्गी। कु-पंथ। २. निषिद्ध आचरण। बुरी चाल। |
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कुपंथी :
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वि० [हिं० कुपथ+ई (प्रत्यय)] बुरे मार्ग पर चलनेवाला कुमार्गी। |
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कुपथ्य :
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पुं० [सं० कुगति० स०] १. स्वास्थ्य को हानि पहुँचानेवाला आहार-विहार। २. रोगी होने की दशा में किया जानेवाला उक्त प्रकार का आहार-विहार। पद—परहेजी। |
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कुपा :
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पुं० [स्त्री० कुप्पी] दे० ‘कुप्पा’।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुपाठ :
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पुं० [सं० कुगति० स०] बुरी सलाह। किसी को अनुचित या बुरे काम के लिए दिया जानेवाला परामर्श या पढ़ाई जानेवाली पट्टी। कुमंत्रणा। |
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कुपाठी (ठिन्) :
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वि० [सं० कुपाठ+इनि] १. दूसरो को कुपाठ पढ़ानेवाला। २. जिसे दुष्ट उद्देश्य या बुरे काम के लिए सिखा-पढ़ाकर तैयार किया गया हो। |
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कुपात्र :
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पुं० [सं० कुगति० स०] धार्मिक दृष्टि से वह व्यक्ति जिसे दान देना शास्त्रों में निषिद्द हो। वि० १. बुरा या अयोग्य पात्र। २. अयोग्य। नालायक। |
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कुपायण :
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वि० [हिं० कोप] १. क्रोध से युक्त। २. बकवादी। उदाहरण—कहा कुपायण मुख कहै हमहीं दुरगत जाइ।—जटमल। |
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कुपार :
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पुं० [सं० अकूपार] समुद्र। |
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कुपित :
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वि० [सं०√कुप् (क्रोध करना)+क्त] १. कोप करनेवाला। जिसे गुस्सा चढ़ा हो। २. अप्रसन्न। नाराज। |
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कुपीन :
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पुं० =कौपीन। |
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कुपुत्र :
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पुं० [सं० कुगति० स०] अयोग्य या अनाज्ञाकारी पुत्र। कपूत। |
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कुपूत :
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वि० [कु+पूत] जो पूत अर्थात् पवित्र न हो। उदाहरण—भो अकरून करूनाकरौ यहि कपूत कलिकाल। पुं०=कुपुत्र। |
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कुप्पक :
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पुं० [सं० कोप] घोड़ों का एक रोग जिसमें ज्वर आता और नाक से पानी बहता है।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुप्पना :
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अ० [सं० कोप] कोप या क्रोध करना। गुस्सा होना। उदाहरण—मुनि कुप्पिय प्रथिराज जान पुंछीय श्रप्पमलि।—चंदबरदाई। |
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कुप्पल :
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पुं० [देश०] एक प्रकार की सज्जी। |
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कुप्पा :
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पुं० [सं० कूपक, प्रा० कूपय, गु० कुप्पो, कन्न, कोप्पै, बँ० कुपी, मरा० कुप्पी] [स्त्री० अल्पा० कुप्पी] १. घी, तेल आदि रखने के लिए बना हुआ चमड़े का एक प्रकार का गोल या चौकोर बड़ा पात्र। २. लाक्षणिक अर्थ में मोटा-ताजा व्यक्ति। मुहावरा—(किसी का) फूलकर कुप्पा होना=(क) बहुत अधिक मोटा हो जाना। (ख) प्रसन्नता से फूले न समाना। (मुँह) कुप्पा होना=क्रोध या नाराजगी के कारण मुँह फूल जाना। (कोई चीज) कुप्पा होना=सूज जाना। सूजना। |
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कुप्पासाज :
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पुं० [हिं० कुप्पा+फा० साज] कुप्पे बनानेवाला कारीगर। |
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कुप्पी :
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स्त्री० [हिं० कुप्पा] छोटा कुप्पा। |
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