शब्द का अर्थ
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कुल :
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पुं० [सं०√कुल् (बन्ध)+क या कु√ला (लेना)+क] १. झुंड। समूह। २. एक ही पुरुष से उत्पन्न सब वंशज अथवा उनकी पीढ़ियों का वर्ग या समूह। खानदान। घराना। वंश। परिवार। (फैमिली) मुहावरा—(किसी का) कुल बखानना=किसी के कुल के लोगों को कोसना, गाली देना, उनकी निंदा करना अथवा उनके दोषों का उल्लेख करना। ३. एक ही मूल तत्त्व या पदार्थ के भिन्न-भिन्न वर्गों या शाखाओं का समूह। (फैमिली) ४. घर। मकान। ५. हठयोग में कुंडलिनी शक्ति। ६. वाम मार्ग। कौल धर्म। ७. तंत्र के अनुसार आकाश, काल, जल, तेज, प्रकृति, वायु आदि पदार्थ। ८. संगीत में एक प्रकार का ताल। ९. कुलीनों का राज्य। कुलीन तंत्र। (कौ०)। वि० [अ०] १. मान, मात्रा, संख्या आदि के विचार से जितने हों, उतने सब। जैसे—कुल बीस आदमी थे। २. पूरा। सारा। जैसे—यह कुल खुराफत उन्हीं की है। |
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कुल-कंटक :
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पुं० [ष० त०] ऐसा व्यक्ति जिसके बुरे आचरण के कुल के लोग दुःखी तथा संतप्त रहते हों। |
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कुल-कर्त्ता (र्त्तृ) :
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पुं० [ष० त०] किसी कुल का आदि पुरुष। मूल पुरुष। |
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कुल-कलंक :
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पुं० [ष० त०] वह व्यक्ति जो अपने बुरे आचरण से अपने कुल की मर्यादा नष्ट करता या उसमें कलंक लगाता हो। अपने वंश की कीर्ति में धब्बा लगानेवाला व्यक्ति। |
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कुल-कुडंलिनी :
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स्त्री० [ष० त०] तंत्र के अनुसार एक शक्ति जिसका एक अंश यह भौतिक संसार माना गया है। |
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कुल-गुरु :
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पुं० [ष० त०] १. वह जिसके कुल या वंश के लोग बराबर किसी दूसरे कुल या वंश के लोगों के गुरु होते आये हों। २. गुरुकुल का अध्यक्ष। |
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कुल-तंतु :
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पुं० [ष० त०] घर के सब लोगों का पालन-पोषण करनेवाला। मुख्य व्यक्ति। |
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कुल-तंत्र :
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पुं० [ष० त०] ऐसा राज्य या शासन प्रणाली जिसमें सब काम क्रियात्मक या वास्तविक रूपमें कुछ विशिष्ट लोग ही गुट बाँधकर और मिलकर चलाते हों। (आलिंगार्की) |
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कुल-देव :
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पुं० [ष० त०] कुलदेवता। |
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कुल-देवता :
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पुं० [ष० त०] [स्त्री० कुलदेवी] वह देवता जिसकी पूजा तथा वंदना किसी कुल के लोग परंपरा से करते चले आ रहे हों। |
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कुल-धर :
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पुं० [ष० त०] पुत्र। बेटा। |
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कुल-धर्म :
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पुं० [ष० त०] ऐसा आचरण जिसे कुल के सब लोग सदा से करते चले आ रहे हो। कुल की रीति। |
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कुल-धारक :
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पुं० [ष० त०] पुत्र। बेटा। |
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कुल-नक्षत्र :
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पुं० [मद्य० स०] तंत्र के अनुसार ये नक्षत्र-भरणी, रोहिणी, पुष्य, मघा, चित्रा, विशाखा, उत्तराफाल्गुनी, ज्येष्ठा, पूर्वाषाढ़, श्रवण और उत्तर भाद्रपद। |
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कुल-नाम (न्) :
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पुं० [ष० त०] वह संज्ञा जो कुल के सब पुरुषों के नामों के साथ लगती है। जाति या वंश-गत नाम। अल्ला। जैसे—उपाध्याय, त्रिवेदी आदि। |
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कुल-नायिका :
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स्त्री० [ष० त०] वाम मार्ग में ऐसी स्त्रियाँ जिनकी पूजा चक्र में बैठाकर की जाती है। |
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कुल-पढ़ैया :
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स्त्री० [फा० कुल-सब+हिं० पढ़ैया०] कुछ विशिष्ट अवसरों पर पढ़ी जाने वाली वह नमाज जिसमें किसी नगर या बस्ती के सब मुसलमान एक साथ सम्मिलित होते हों। |
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कुल-पति :
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पुं० [ष० त०] १. घर का स्वामी। २. प्राचीन भारत में गुरुकुल का वह प्रधान अधिकारी जो विद्यार्थियों को शिक्षा देता था और उनके भोजन वस्त्र आदि की भी व्यवस्था करता था। ३. आज-कल किसी विश्वविद्यालय का प्रधान। (चांसलर)। |
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कुल-पर्वत :
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पुं० [मध्य० स०] पुराणानुसार महेन्द्र, मलय, सह्य शुक्ति, ऋक्ष, विन्ध्य और पारियात्र इन सात पर्वतों का वर्ग। |
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कुल-पूज्य :
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वि० [तृ० त० या स० त०] १. जिसकी पूजा या आराधना किसी कुल के सब लोग करते हों। २. कुल में परंपरा से जिनकी पूजा होती चली आई हो। |
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कुल-राज्य :
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पुं० =कुल-तंत्र। |
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कुल-वधू :
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स्त्री० [मध्य० स०] उत्तम कुल की मर्यादा से रहनेवाली स्त्री। ऐसी वधू जो कुल के आचार का ठीक तरह से पालन करती है। |
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कुल-संकुल :
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पुं० [तृ० त०] पुराणानुसार एक नरक। |
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कुल-संघ :
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पुं० [ष० त०] कुल-तंत्र शासन प्रणाली में शासन चलानेवालों का संघ या समूह। |
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कुलक :
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पुं० [सं० कुल+कन्] १. एक साथ या एक ही स्थान पर होने, बनने प्रकाशित होनेवाली अथवा एक साथ काम आनेवाली वस्तुओं का समूह। (सेट) जैसे—(क) एक ही ग्रंथमाला के सब ग्रन्थों का कुलक। (ख) पहनने के सब कपड़ों का कुलक। २. संस्कृत में गद्य लिखने का एक ढंग या प्रकार। ३. दीया। दीपक। ४. हरा साँप। ५. परवल या उसकी लता। ६. कुचला नामक विष। ७. मकर तेंदुआ नामक वृक्ष। |
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कुलकना :
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अ०=निकलना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुलकानि :
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स्त्री० [सं० कुल+हिं० कान=मर्यादा] कुल की प्रतिष्ठा, मर्यादा और लज्जा। |
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कुलकुल :
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पुं० [अनु] बोतल या सुराही में भरे हुए तरल पदार्थ को उँडेलने से होनेवाला शब्द। |
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कुलकुलाना :
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अ० [अनु] १. कुल-कुल शब्द होना। २. विकल और व्यथित होना। स० १. कुलकुल शब्द उत्पन्न करना। २. विकल और व्यथित करना। |
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कुलकुली :
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स्त्री० [अनु] १. =खुजली। २. =बेचैनी। |
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कुलक्षण :
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वि० [सं० ब० स०] [स्त्री० कुलक्षणी] १. बुरे लक्षणोंवाला। २. अशुभ। पुं० [कुगति स०] दूषित या बुरा लक्षण। |
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कुलक्षणी (णिन्) :
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वि० [सं० कुलक्षण+इनि] बुरे लक्षणोंवाला। स्त्री०बुरे लक्षणोंवाली स्त्री। |
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कुलखना :
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वि० [स्त्री० कुलखनी]=कुलक्षण। |
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कुलंग :
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पुं० [फा०] १. मटमैले रंग का एक प्रकार का पक्षी। २. मुरगा। ३. सिर पर वार करने का एक पुराना हथियार जिसमें लोहे के डंडे में दूसरा टेढ़ा और नुकीला डंडा लगा रहता था। ४. बहुत लंबा या लंबी टाँगों वाला व्यक्ति। (परिहास और व्यंग्य)। |
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कुलगारी :
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स्त्री० [सं० कुल+हिं० गाली] १. किसी के सारे कुल को दी जानेवाली गाली। २. ऐसी निंदा या बदनामी की बात जिससे सारे कुल को कलंक लगता हो। |
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कुलचंडी :
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स्त्री० [ष० त०] एक देवी। |
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कुलचा :
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पुं० [फा० कलीचा] १. गुँधे हुए आटे में खमीर उठाकर बनाई जानेवाली एक प्रकार की मोटी रोटी। २. औरों से छिपाकर इकट्ठा किया हुआ धन। ३. तंबू या खेमें के डंडे के ऊपर का गोल लट्टू। |
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कुलच्छन :
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वि० पुं० =कुलक्षण।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुलच्छनी :
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वि० स्त्री०=कुलक्षणी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुलंज :
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पुं० =कुलंजन। |
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कुलज :
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पुं० [सं० कुल√जन् (पैदा होना)+ड] [स्त्री० कुलजा] १. अच्छे या उत्तम वंश से उत्पन्न व्यक्ति। २. परवल। |
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कुलंजन :
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पुं० [सं० कु√रञ्ज् (राग)+णिच्+ल्युट-अन] १. मुलेठी की जाति का एक पौधा जिसकी जड़ दवा के काम में आती है। २. पान के पौधे की जड़ जो दवा के काम आती है। |
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कुलजा :
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स्त्री० [देश] जंगली भेडों की एक जाति। |
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कुलजात :
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वि० [स० त०] १. किसी कुल या वंश से उत्पन्न होनेवाला। २. अच्छे कुल में उत्पन्न। कुलीन। |
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कुलट :
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वि० [सं० कुल√अट्+अच्] [स्त्री० कुलटा] बदचलन। व्यभिचारी। पुं० व्यभिचारिणी स्त्री का पुत्र। जारज संतान। |
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कुलटा :
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स्त्री० [सं० कुलट+टाप्] १. अनेक पर-पुरुषों से संबंध रखनेवाली स्त्री। दुराचारिणी। व्यभिचारिणी। २. साहित्य में वह नायिका जिसका संबंध अनेक पुरुषों से हो। |
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कुलतारन :
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वि० [सं० कुल+हिं० तारन] [स्त्री० कुलतारनी] कुल को तारने या उसका उद्दार करनेवाला। पुं० वह व्यक्ति जिससे कुल पवित्र होता हो। कुल का यश बढ़ानेवाला व्यक्ति। |
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कुलती :
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स्त्री०=कुलथी। |
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कुलत्थ :
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पुं० [सं० कुल√स्था (ठहरना)+क, पृषो० सिद्धि]=कुलथी। |
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कुलत्थिका :
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स्त्री० [सं० कुलत्थ+कन्-टाप्, इत्व]=कुलथी। |
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कुलथ :
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पुं० =कुलथी। |
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कुलथी :
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स्त्री० [सं० कुलत्थ] उरद की जाति का एक मोटा अन्न। |
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कुलन :
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स्त्री० [हिं० कल्लाना] १. दर्द। पीड़ा। २. टीस। |
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कुलना :
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अ०=कल्लाना। (शरीर के किसी अंग का)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुलनार :
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पुं० [देश०] सुरमई रंग का एक प्रकार का खनिज पदार्थ। |
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कुलफ :
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पुं० [अ० कुल्फ] ताला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुलफत :
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स्त्री० [अ० कुल्फत] १. कष्ट देनेवाली मानसिक चिंता। २. विकलता। |
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कुलफा :
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पुं० [फा० खुर्फा, अ० कुल्फः] एक साग,जिसके पत्ते छोटे चौड़े और नुकीले होते हैं। पुं० [हिं० कुलफी] विशेष प्रकार से जमाया हुआ दूध जिसमें कई प्रकार की पौष्टिक तथा सुगंधित चीजें मिली होती हैं। |
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कुलफी :
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स्त्री० [हिं० कुलफ] १. धातु का वह टुकड़ा जो किसी चीज में घूमने अथवा उसे घुमाने के लिए पेंच से कसा जाता है। २. टीन, मिट्टी आदि का बना हुआ चोगा जिसमें दूध आदि भरकर बर्फ की सहायता से जमाते हैं। ३. उक्त प्रकार से जमाया हुआ दूध या कोई खाद्य तरल पदार्थ। ४. हुक्के में की वह गोल या टेढ़ी नली जिसके ऊपर नरकुल लगाकर नैचा बाँधा जाता है। |
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समानार्थी शब्द-
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कुलबाँसा :
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पुं० [हिं० कुल+बाँस] करघे में का वह बाँस जिसमें कंछी लगी रहती है। (जुलाहे) |
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कुलबुल :
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पुं० [अनु०] [भाव० कुलबुलाहट] १. बोतल, सुराही आदि सँकरे मुँह तथा चौड़े पेंदेवाले पात्रों में भरे हुए तरल पदार्थ को उँडेलने पर होनेवाला शब्द। २. छोटे-छोटे कीड़ों के हिलने-डुलने की क्रिया या उससे होनेवाला शब्द। ३. किसी चीज के हिलने-डुलने की क्रिया तथा उस क्रिया से उत्पन्न होनेवाला शब्द। |
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कुलबुलाना :
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अ० [हि० कुलबुल] १. बहुत-से छोटे-छोटे कीड़ों, पक्षियों आदि का एक साथ रेंगना, हिलना-डोलना तथा शब्द करना। २. कुछ कहने के लिए अत्यधिक व्यग्र होना। |
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कुलबुलाहट :
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अ० [हि० कुलबुल] १. कुलबुल करने या कुलबुलाने की क्रिया या भाव। |
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कुलबोरन :
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वि० [हिं० कुल+बोरना] अपने कुकृत्य या दुराचरण से कुल को कलंकित तथा उसकी मर्यादा नष्ट करनेवाला (व्यक्ति)। |
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कुलंभर :
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पुं० [सं० कुल√भृ (भरण करना)+खच्, मुम्] सेंध लगानेवाला चोर। |
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कुलवंत :
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वि० [सं० कुलवत्] [स्त्री० कुलवंती] अच्छे कुल का। कुलीन। |
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समानार्थी शब्द-
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कुलवान् :
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वि० [सं० कुल+मतुप्, म=व] [स्त्री० कुलवती] अच्छे कुल या वंश का। (व्यक्ति)। कुलीन। |
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कुलशतावरग्राम :
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पुं० [सं० कुल-शत, ष० त० कुलशत-अवर, पं० त० कुलशतावर-ग्राम, ष० त०] ऐसा गाँव जिसमें एक सौ से अधिक लोग रहते हों। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलसन :
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स्त्री० [देश०] एक प्रकार की चिड़िया। |
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समानार्थी शब्द-
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कुलह :
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स्त्री० [फा० कुलाह] १. एक प्रकार की गोल टोपी जिसके बीच का भाग कुछ ऊपर उठा होता है। प्रायः इसके ऊपर पगड़ी बाँधी जाती है। २. शिकारी चिड़ियों की आँखों पर बाँधी जानेवाली पट्टी। अँधियारी। पुं० [सं० कुलधर] वंशधर। उदाहरण—तहुँ सु विजय सुर राजपति जादू कुलह अभग्ग।—चंदबरदाई। |
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समानार्थी शब्द-
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कुलहवरा :
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पुं० [फा० कुलाह+बाला] बच्चों के पहनने की एक प्रकार की छोटी टोपी या कंटोप जिसके पिछले भाग में चुना हुआ लंबा कपड़ा पीठ पर लटकता रहता है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलहा :
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पुं०=कुलह।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलही :
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स्त्री०=कुलहवरा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुला :
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पुं० =कुलह।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलाकुल :
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पुं० [सं० कुल-अकुल, द्व० स०] तंत्र के अनुसार कुछ निश्चित नक्षत्र, वार और तिथियाँ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलांगना :
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स्त्री० [सं० कुल-अंगना, म्य० स०] भले घर की साध्वी स्त्री। कुलवधू। |
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समानार्थी शब्द-
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कुलांगार :
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पुं० [सं० कुल-अंगार, उपमि० स०] अपने ही कुल का नाश करनेवाला व्यक्ति। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलाँच :
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स्त्री० [तु० कुलाच०] १. दोनों हाथों के बीच की दूरी। २. चौकड़ी। छलाँग। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलाँचना :
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अ० [हिं० कुलाँच] छलाँगे लगाना। चौकड़ी भरना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलाचल :
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पुं० [सं० कुल-अचल, मध्य० स०]=कुलपर्वत। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलाचार :
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पुं० [सं० कुल-आचार, ष० त०] १. वह आचार या रीतिव्यवहार जिसे किसी कुल के लोग परंपरानुसार करते चले आ रहे हों। २. वाममार्गियों का धर्म। कौल धर्म। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलाचार्य :
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पुं० [सं० कुल-आचार्य, ष० त०] १. कुल-गुरु। २. पुरोहित। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलाबा :
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पुं० [अ० कुलाबः] १. लोहे का वह छ्ल्ला जिसके द्वारा पल्ले को चौखट में कसा या जकड़ा जाता है। पायजा। २. नाली। मोरी। ३. मछली फँसाने का काँटा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलाय :
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पुं० [सं० कुल√अय् (गति)+घञ्] १. शरीर। २. घोंसला। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलायिका :
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स्त्री० [सं० कुलाय+ठन्-इक, टाप्] वह स्नान जहाँ पक्षी रखे या पाले जाते हों। चिड़ियाघर। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलाल :
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पुं० [सं० कुल√अल् (गति)+अण्] [स्त्री० कुलानी] १. वह जो मिट्टी के बरतन बनाता हो। कुम्हार। २. बनमुरगा। ३. उल्लू। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलालिका :
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स्त्री० [सं० कुलाली+कन्, टाप्, ह्रस्व] दे०‘कुलाली’। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलाली :
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स्त्री० [सं० कुलाल+ङीष्] कुम्हारिन। कुम्हार की स्त्री० स्त्री० [देश] दूरबीन। (डि०) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलाह :
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पुं० [सं० कुल-आ√हन् (मारना)+ड] १. वह घोड़ा जिसका रंग भूरा और घुटने तथा पैर काले हो। २. वाराह। उदाहरण—कलि अवतार कुलाह, असंपति पारन कंसह।—चंदबरदाई। ३. कमल। पुं०=कुलह। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलाहक :
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पुं० [सं० कुलाह+कन्] १. गिरगिट। २. एक प्रकार का शाक। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलाहल :
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पुं० =कोलाहल।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलि :
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वि०=कुल।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलिक :
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पुं० [सं० कुल+ठन्-इक] १. किसी कुल का प्रधान व्यक्ति। २. वह कलाकार या शिल्पकार जिसका जन्म अच्छे कुल में हुआ हो। ३. घुँघची का पेड़। ४. वह नाग जिसका रंग हलके भूरे रंग का होता है तथा जिसके मस्तक पर अर्द्धचंद्र बना होता है। इसकी गिनती आठ महानगरों में होती है। ५. तालमखाना। ६. ज्योतिष के अनुसार दिन का वह भाग जिसमें कोई शुभ काम अथवा यात्रा आदि करना वर्जित होता है। ७. केंकड़ा। ८. एक प्रकार का विष। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलिंग :
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पुं० [सं० कु√लिंग (गति)+अच्] चिडि़या। पक्षी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलिंगक :
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पुं० [सं० कुलिंग+कन्] चटक। चिड़ा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलिजन :
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पुं० =कुलंजन।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलिंद :
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पुं० [सं० कुलि√दा+कन्, पृषो] १. उत्तर पश्चिमी भारत का प्राचीन प्रदेश। कुनिंद। २. उक्त प्रदेश का राजा। ३. उक्त प्रदेश का निवासी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलिया :
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स्त्री० [सं० कुल्या] नहर में से निकला हुआ छोटा नाला। स्त्री० [हिं० कुल्हिया] छोटी और अँधेरी कोठरी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलिर :
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पुं० [सं० √कुल्+इरन्]=कुलीर। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलिश :
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पुं० [सं० कुलि√शी (सोना)+ड] आकाश से गिरनेवाली बिजली। गाज। वज्र। २. कुठार। ३. हीरा। ४. राम, कृष्ण आदि अवतारों के चरणों में होनेवाला के प्रकार का चिन्ह जिसका आकार व्रज (अस्त्र) जैसा होता है। ५. एक प्रकार की मछली। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलिश-धर :
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पुं० [ष० त०] देवराज इंद्र जो हाथ में कुलीन या व्रज रखते हैं। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलिश-नायक :
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पुं० [ष० त०] एक प्रकार का रतिवंध। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलिश-पाणि :
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पुं० [ब० स०] =कुलिशधर। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलिशासन :
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पुं० [कुलिश-आसन, ब० स०] गौतमबुद्ध। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलिशी :
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स्त्री० [सं० कुलिश] वेदानुसार एक नदी जो आकाश के बीच में से होकर बहती है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलिस :
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पुं० =कुलिश।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुली :
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पुं० [तु] सिर पर बोझ (विशेषतः यात्रियों का सामान) ढोनेवाला अकुशल मजदूर। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुली-कबाड़ी :
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पु० [हि० कुली+कबाड़ी] मेहनत मजदूरी विशेषतः सिर पर बोझ ढोनेवाला अकुशल मजदूर। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलींजन :
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पुं० =कुंलजन। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलीन :
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वि० [सं० कुल+ख-ईन] [भाव, कुलीनता] १. (पवित्र) जिसका जन्म उच्च या उत्तम कुल में हुआ हो। २. (पशु) जो अच्छी नसल का हो। ३. पवित्र। शुद्ध। पुं० उच्च वर्ग के बंगाली ब्राह्मणों का एक वर्ग। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलीन-तंत्र :
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पुं० [सं० मध्य०स] वह शासन प्रणाली जिसमें किस देश का शासन उच्च कुल के लोग चलाते हैं। कुल-तंत्र। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलीर :
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पुं० [सं०√कुल (बाँधना)+ईरन्] केंकड़ा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलीश :
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पुं० [सं० =कुलिश+पृषो० दीर्घ]=कुलिश। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलुक :
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पुं० [सं०√कुल+उलच्, ल=क] जीभ पर जमी हुई मैल। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
कुलुक्क गुंजा :
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स्त्री० [सं० कु-लुक्का, स० त० कुलक्का-गुंजा, कर्म० स०] जलती हुई लकड़ी का टुकड़ा। लुकाठी। |
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समानार्थी शब्द-
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कुलुफ :
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पुं० [अ० कुफल्] १. दरवाजे बंद करने के लिए लगाया जानेवाला ताला० २. धातु का अँकुड़ीदार टुकड़ा जिसमें कोई चीज फँसाई जाती हो। |
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कुलुस :
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पुं० [सं० कुलिश] एक प्रकार की मछली।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुलू :
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पुं० [सं० कुलूत] काँगड़े के समीप का एक प्रसिद्ध पहाड़ी प्रदेश। पुं० दे० ‘गुलू’। |
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कुलूत :
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पुं० [सं० ]=कुलू। पुं० आधुनिक कुलू प्रदेश का आधुनिक नाम। |
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कुलेल :
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स्त्री०=कलोल। (कीड़ा)। |
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कुलेलना :
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अ० [हिं० कुलेल] कुलेल या क्रीड़ा करना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुल्टू :
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पुं० दे० ‘कुटू’ या ‘कोटू’।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुल्थी :
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स्त्री०=कुलथी। |
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कुल्फ :
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पुं० =कुलुफ। |
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कुल्फी :
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स्त्री०=कुलफी। |
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कुल्माष :
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पुं० [सं०√कुल+क्विप्, कुल-माष, ब० स०] १. एक प्रकार का मोटा अन्न० कुलथी। २. उरद। ३. वह अन्न जिसके दो दल या भाग होते है। दाल। जैसे—चना। ४. खिचड़ी। ५. काँजी। ६. एक प्रकार का रोग। ७. सूर्य का एक पारिपार्श्वक। |
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कुल्य :
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पुं० [सं० कुल+यत्] उत्तम कुल में जन्मा हुआ व्यक्ति। कुलीन। |
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कुल्या :
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स्त्री० [सं० कुल्य+टाप्] १. कुलीन स्त्री। २. छोटी नहर। ३. नाली। पनाला। ४. जीवंती नामक ओषधि। |
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कुल्ल :
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वि०=कुल।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुल्ला :
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पुं० [सं० कवल] [स्त्री० कुल्ली] १. मुँह तथा दाँत साफ करने के लिए मुँह में पानी भरकर बाहर फेंकने की क्रिया या भाव। २. चुल्लू भर पानी जो कुल्ला करने के लिए एक बार मुंह में लिया जाय। ३. वह घोड़ा जिसकी पीठ की रीढ़ पर काले रंग की धारी हो। पुं० [फा० काकुल, सं० कुंतल] [स्त्री० कुल्ली] बाल। जुल्फ। पट्टा। पुं०=कुलह।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुल्ली :
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स्त्री० [हिं० कुल्ला]=कुल्ला। स्त्री० [फा० काकुल] जुल्फ। |
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कुल्लुक :
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पुं० [देश] एक प्रकार का बाँस जिसे बाँसिनी भी कहते हैं। |
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कुल्लूक :
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पुं० [सं० ] दिवाकर भट्ट के पुत्र जिन्होंने मनुसंहिता की टीका की है। |
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कुल्वक :
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पुं० =कुलुक। |
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कुल्हड़ :
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पुं० [सं० कुल्हर] [स्त्री० कुल्हिया] मिट्टी का पका हुआ छोटा पात्र। चुक्कड़। पुरवा। |
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कुल्हाड़ा :
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पुं० [सं० कुठार] [स्त्री० अल्पा० कुल्हाड़ी] पेड़ काटने तथा लकड़ी चीरने का एक प्रसिद्ध औजार। (ऐक्स)। |
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कुल्हाड़ी :
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स्त्री० [हिं० कुल्हाड़ा का अल्पा०] १. छोटा कुल्हाड़ा। कुठार। टाँगी। २. बसूला। (लश०)। |
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कुल्हारा :
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पुं० =कुल्हाड़ा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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कुल्हिया :
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स्त्री० [हिं० कुल्हड़] १. मिट्टी का छोटा कुल्हड़। २. बहुत छोटी या तंग कोठरी (परिहास)। |
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कुल्हू :
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पुं० =कुलू (देश)। |
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