शब्द का अर्थ
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कोड़ :
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पुं० [सं० कौतुक] १. आश्चर्य। उदाहरण—कीन्हेसि सुख और कोड़ अंनदू। -जायसी। २. =कुतूहल।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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कोड़ना :
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स० [सं० किंड-खंडित एक] खेत की मिट्टी खोदकर ऊपर-नीचे करना। गोड़ना। |
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कोड़वाना :
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स० [हिं० कोड़ना का प्रे०] किसी को खेत या जमीन गोड़ने में प्रवृत्त करना। गोड़ने का काम दूसरे से कराना। |
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कोड़ा :
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पुं० [सं० कवर] १. चमड़े या सूत को बटकर बनाया हुआ एक मोटा चाबुक या साँटा जिससे जंगली जानवरों, कैदियों आदि को मारते पीटते हैं। २. लाक्षणिक अर्थ में उत्तेजक या मर्म-स्पर्शी बात। पुं० [देश] एक प्रकार का पतला बाँस। (दक्षिण भारत) २. कुश्ती का एक पेंच। |
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कोड़ाई :
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स्त्री० [हिं० कोड़ना] १. खेत कोड़ने (गोड़ने) की क्रिया भाव या मजदूरी। |
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कोड़ाना :
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स० [हिं० कोड़ना का प्रे०] किसी को खेत कोड़ने में प्रवृत्त करना। |
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कोड़ार :
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[सं० कुंडल] १. कोल्हू के चारों ओर जड़ा हुआ लोहे का गोलबंद। कुंडरा। २. वह खेत जिसमें कोइरी लोग शाक-भाजी उपजाते हैं। |
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कोड़ि :
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स्त्री०=कोड़ी। |
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कोड़िक :
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पुं० [सं० कोड़=सूअर] एक जाति जो सूअर पालती है। |
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कोड़ी :
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स्त्री० [अं० स्कोर या सं० कोटि] १. बीस वस्तुओं का वर्ग या समूह। बीसी। जैसे—एक कोड़ी कपड़े। २. तालाब का वह पक्का निकास जिससे उसका फालतू पानी बाहर निकल जाता है। |
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