शब्द का अर्थ
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गात्र :
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पुं० [सं०√गम् (जाना)+त्रन्, आकार आदेश] १. देह। शरीर। २. हाथी के अगले पैरों का ऊपरी भाग। |
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समानार्थी शब्द-
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गात्र-भंगा :
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स्त्री० [ब० स० टाप्] केवाँच। कौंछ। |
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गात्र-रुह् :
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पुं० [गात्रे√रूह् (जन्म लेना)+क] शरीर के रोएँ। रोम। |
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गात्र-वर्ण :
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पुं० [मध्य० स०] स्वर साधन की एक प्रणाली जिसमें सातों स्वरों में से प्रत्येक का उच्चारण तीन तीन बार किया जाता है। जैसे–सा सा सा, रे रे रे,ग ग ग आदि। |
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गात्र-सम्मित :
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वि० [ब० स०] (गर्भ) जो तीन महीने के ऊपर का होकर शरीर के रूप में आ गया हो। |
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गात्रक :
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पुं० [सं० गात्र+कन्] शरीर। |
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गात्रवत् :
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वि० [सं० गात्र+तुप्, वत्व] सुंदर शरीरवाला। |
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गात्रानुलेपनी :
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स्त्री० [गात्र-अनुलेपनी, ष० त०] अंगराग। |
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गात्रावरण :
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पुं० [सं० गात्र-आवण, ष० त० ] १. शरीर ढकनेवाली कोई चीज। २. युद्ध के समय शरीर को ढकनेवाले कवच जिरह-बख्तर आदि। |
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गात्रिका :
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स्त्री० [सं० गात्र+कन्-टाप्, इत्व] शाल की तरह की एक प्रकार की पुरानी चादर। |
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