शब्द का अर्थ
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चमर :
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पुं० [सं०√चम् (खाना)+अरच्] १. सुरा गाय। २. सुरा गाय की पूँछ का बना हुआ चँवर। चामर। ३. किसी प्रकार का चँवर। ४. एक दैत्य का नाम। वि० [हिं० चमार] हिं० ‘चमार’ का वह संक्षिप्त रूप जो उसे यौगिक पदों में लगने के पहले प्राप्त होता है और जो तुच्छ या हीन का वाचक होता है। जैसे–चमर चलाकी, चमर रग आदि। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
चमर-गिद्ध :
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पुं० [हिं०] एक प्रकार का बड़ा गिद्ध। |
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चमर-चलाक :
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वि० [हिं० चमार+फा० चालाक] बहुत ही तुच्छ या हीन प्रकार का चतुर या चालाक।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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चमर-चलाकी :
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स्त्री० [हिं०] चमारों की सी तुच्छ या हीन चालाकी या धूर्त्तता। |
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चमर-जुलाहा :
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पुं० [हिं० चमार+फा० जुलाहा] हिंदू जुलाहा। कोरी। (मुसलमानों की दृष्टि से उपेक्षा-सूचक पद)। |
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चमर-पुच्छ :
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वि० [ब० स०] (पशु) जिसकी पूँछ चँवर की तरह हो या चँवर बनाने के काम आ सकती हो। पुं० १. चँवर। २. गिलहरी। ३. लोमड़ी। |
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चमर-बंकुलियाँ :
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स्त्री०-चमर-बगली।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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चमर-बगली :
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स्त्री० [हिं० चमार+बगला] बगले की जाति की काले रंग की एक चिड़िया। |
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चमर-रग :
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वि० [हिं०] (व्यक्ति) जिसकी रग या स्वभाव चमारों का-सा तुच्छ या हीन हो। स्त्री० चमारों की सी तुच्छ या हीन प्रकृति, प्रवृत्ति या स्वभाव। |
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चमर-शिखा :
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स्त्री० [उपमि० स०] घोड़ों के सिर पर लगाई जानेवाली कलगी। |
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चमरक :
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पुं० [सं० चमर+कन्] मधुमक्खी। |
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चमरख :
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स्त्री० [हिं० चाम+रक्षा] चरखे में लगी हुई चमड़े, मूँज आदि की वह चकती जिसमें तकला पहनाया जाता है। |
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चमरखा :
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पुं० [सं० चर्मकशा] एक प्रकार की सुगंधित जड़ जो उबटन आदि में पड़ती है। |
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चमरस :
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पुं० [हिं० चाम] चमड़े के जूते की रगड़ से पैर में होनेवाला घाव। |
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चमरा-खारी :
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पुं० [हिं० चमार+खारी] खारी नमक। |
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चमरावत :
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स्त्री० [हिं० चमार] चमड़े के मोट आदि बनाने की मजदूरी जो काश्तकारों या जमींदारों से चमारों को मिलती है। |
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चमरिक :
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पुं० [सं० चमर+ठन्-इक] कचनार का पेड़। |
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चमरिया :
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वि० [हिं० चमार] चमारों का सा तुच्छ। हीन।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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चमरिया सेम :
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पुं० [हिं०] एक प्रकार का सेम। सेम का एक भेद। |
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चमरी :
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स्त्री० [सं० चमर+ङीष्] १. सुरा गाय। २. चँवर। ३. पौधों की मंजरी। |
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चमरू :
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पुं० [देश०] १. चमड़ा। २. खाल। ३. चरसा।(लश०)। |
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चमरोर :
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पुं० [देश०] एक प्रकार का बड़ा पेड़ जिसकी छाया बहुत घनी होती है। |
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चमरौट :
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स्त्री० [हिं० चमार+औट (प्रत्यय)] खेत, फसल आदि का वह भाग जो चमारों को उनकी सेवाओं के बदले में दिया जाता है। |
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चमरौधा :
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पुं० दे० ‘चमौआ’। |
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