लोगों की राय
शब्द का अर्थ खोजें
शब्द का अर्थ
|
डमरु :
|
पुं० [सं० डम√ऋ (प्राप्ति)+कु] १. हाथ से हिलाकर बजाया जानेवाला एक प्रकार का बाजा जो बीच में पतला होता है और जिसके दोनों सिरे अधिक बड़े और चौड़े होते हैं और जिन पर चमड़ा मढ़ा होता है। विशेष–इसके बीच में गाँटदार दो रस्सियाँ लगी रहती है जो चमड़े पर आघात करती हैं जिससे शब्द उत्पन्न होता है। २. उक्त आकार-प्रकार की कोई ऐसी वस्तु जिसका बीचवाला भाग पतला और दोनों सिरे चौड़े या मोटे हों। दे० ‘डमरू-मध्य’। ३. दंडक वृत्त का एक भेद जिसके प्रत्येक चरण में ३२ लघुवर्ण होते हैं। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
डमरु-मध्य :
|
पुं० [ब० स०] १. कोई ऐसा पदार्थ जिसका मध्य भाग डमरू के मध्य भाग की तरह पतला हो और दोनों सिरे अधिक चौड़े, बड़े या विस्तृत हों। जैसे–भूगोल में जल-डमरु-मध्य, स्थल-डमरु-मध्य। २. स्थल का वह पतला या सँकरा खंड जिसके दोनों ओर लंबे-चौड़े भूखंड हों। दे० ‘स्थल-डमरु-मध्य’। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
डमरु-यंत्र :
|
पुं० [उपमि० स०] दो हँड़ियों के मुँह जोड़कर बनाया जानेवाला एक उपकरण जिसका उपयोग धातुओं, औषधों आदि के रस फूँकने में होता है। (वैद्यक)। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
डमरुका :
|
स्त्री० [सं० डमरु+कन्–टाप्] हाथ की एक तरह की तांत्रिक मुद्रा। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
|
|
|
|
A PHP Error was encountered
Severity: Notice
Message: Undefined index: mxx
Filename: partials/footer.php
Line Number: 7
hellothai