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द्वैत-वाद  : पुं० [ष० त०] १. वह दार्शनिक सिद्धान्त, जिसमें आत्मा-परमात्मा अर्थात् जीव और आत्मा अथवा आत्मा और अनात्मा में भेद माना जाता है। अद्वैतवाद से भिन्न और उसका विरोधी मत या सिद्धान्त। २. उक्त के अंतर्गत वह सूक्ष्म भेद, जिसमें ओर चित्त शक्ति अथवा आत्मा और शरीर दो भिन्न पदार्थ माने जाते हैं। विशेष—उत्तर मीमांसा या वेदान्त का यह मत है कि आत्मा और परमात्मा दोनो एक है; परन्तु शेष पाँचों दर्शन इस मत के विरोधी हैं। ३. दो स्वतंत्र और विभिन्न सिद्धान्त एक साथ माननेवाली विचार-शैली।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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