शब्द का अर्थ
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नट :
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पुं० [सं०√नट् (नृत्य)+अच्०] [स्त्री० नटी] १. अभिनय में वह व्यक्ति जो किसी का रूप धारण करके उसकी चेष्टाओं का अभिनय करता हो। २. सूत्रधार। ३. मनु के अनुसार क्षत्रियों की एक जाति जिसकी उत्पत्ति ब्रात्य क्षत्रियों से कही गई है। ४. पुराणानुसार एक संकर जाति जिसकी उत्पत्ति मालाकार पिता और शूद्रा माता से कही गई है। ५. प्राचीन भारत की एक संकर जाति जिसकी उत्पत्ति शौचिकी स्त्री और शांडिक पुरुष से कही गई है और जिसका पेशा गाना-बजाना था। ६. [स्त्री० नटिन्, नटिनी] एक आधुनिक जाति जो गाने-बजाने और तरह-तरह के शारीरिक कौशल और बाजीगरी के खेल दिखाने का पेशा करती है। ७. एक नाग जिसे गौतम बुद्ध ने बौद्धधर्म की दीक्षा दी थी। ८. संपूर्ण जाति का एक राग जिसमें सब शुद्ध स्वर लगते हैं तथा जो रात के दूसरे पहर में गाया जाता है। ९. अशोक वृक्ष। १॰. श्योनाक वृक्ष। सोनापाढ़ा। |
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नट बंदिनी :
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स्त्री० दे० ‘नटनी’। |
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नट-कुंडल :
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पुं० [सं० नट+कुंडल] [स्त्री० अल्पा० नट-कुंडली] बेंत, धातु आदि का वह गोल चक्कर जिसमें से होकर नट एक ओर से दूसरी ओर जाते हैं। |
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नट-खट :
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वि० [हिं० नट+खट (अनु०)] [भाव० नट-खटी] १. जो स्वभावतः या जान-बूझकर कुछ न कुछ शरारत करता रहता हो। २. जो दूसरों को तंग करने की नियत से कुछ ऊल-जलूल काम करता हो। |
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नट-खटी :
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स्त्री० [हिं० नट-खट] १. नटखट होने की अवस्था या भाव। २. बदमाशी शरारत। पाजीपन। |
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नट-चर्या :
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स्त्री० [ष० त०] अभिनय। |
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नट-नागर :
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पुं० [सं०] श्रीकृष्ण। |
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नट-नारायण :
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पुं० [ष० त०] संगीत में, एक प्रकार का राग जो हनुमत् के मत से मेघराग का तीसरा पुत्र और भरत के मत से दीपक राग का पुत्र है। |
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नट-पत्रिका :
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स्त्री० [ब० स०, कप्—टाप्, इत्व] बैंगन। भाँटा। |
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नट-भूषण :
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पुं० [ब० स०] हरताल। |
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नट-मंडक :
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पुं०=नटमंडन। |
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नट-मंडन :
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पुं० [ष० त०] हरताल। |
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नट-मल्लार :
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पुं० [सं०] नट और मल्लार के योग से बना हुआ संपूर्ण जाति का एक संकर राग जिसमे सब स्वर शुद्ध लगते हैं। |
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नट-राज :
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पुं० [ष० त०] १. नटों में प्रधान या श्रेष्ठ नट। कुश्ल और निपुण नट। २. शिव। महादेव। ३. शिव की एक विशिष्ट प्रकार की मूर्ति या रूप जिसमें वे तांडव नृत्य करते हुए दिखाई देते हैं। ४. श्रीकृष्ण। |
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नट-वर :
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पुं० [सं० त०] १. नाट्य कला में बहुत कुशल और प्रवीण व्यक्ति। २. श्रीकृष्ण का एक नाम। वि० बहुत अधिक चतुर या चालाक। |
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नट-संज्ञक :
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पुं० [ब० स०, कप्] १. गोदंती। हरताल। २. नट। |
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नटई :
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स्त्री० [?] १. गला। गरदन। २. गले के अंदर की श्वासनली। ३. गले के अंदर की घंटी। कौआ।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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नटक :
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पुं० [सं० नट+कन्] नट। |
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नटका :
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पुं० [सं० नट] [स्त्री० नटकी] नट जाति का पुरुष (तुच्छतासूचक) उदा०—मोती मानिक परत न पहरूँ मैं कब की नटकी।—मीराँ। |
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नटट् :
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पुं०=नट। |
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नटता :
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स्त्री० [सं० नट+तल्—टाप्०] १. नट होने की अवस्था या भाव। २. नट का काम। |
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नटन :
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पुं० [सं०√नट्+ल्युट्—अन] १. नाचना। २. अभिनय करना। |
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नटना :
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अ० [सं० नटन] १. नाट्य करना। अभिनय करना। २. कही हुई बात या की हुई प्रतिज्ञा निभाने से पीछे हटना या आना-कानी करना। प्रतिज्ञा, वचन आदि से मुकरना। अ० [सं० नर्तन] नृत्य करना। नाचना। अ० [सं० नष्ट] नष्ट या बरबाद होना। स० नष्ट या बरबाद करना। पुं० १. बाँस की बनी छलनी जिससे रस छाना जाता है। २. मछली पकड़ने का वह झाबा या टोकरा जिसका पेंदा कटा हुआ होता है। टाप। |
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नटनि :
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स्त्री० [सं० नटन] १. नृत्य। नाच। २. अपनी प्रतिज्ञा या बात में नटने अर्थात् पीछे हटने की क्रिया या भाव। मुकरना। स्त्री० [हिं० नट] नट जाति की स्त्री। नटिन। |
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नटनी :
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स्त्री० [हिं० नट] १. अभिनेत्री। २. नट जाति की स्त्री। |
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नटमल :
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पुं० [सं०] एक प्रकार का राग। |
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नटवना :
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अ० [हिं० नट] १. नाचना। २. अभिनय करना। स० १. नचाना। २. अभिनय कराना। |
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नटवा :
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पुं० [हिं० नाटा] छोटे कद या कम उमर का बैल। पुं० [हिं० न०] एक प्रकार का गीत जिसे नट जाति के लोग ढोलक आदि के साथ नाचते हुए गाते हैं। वि०=नाटा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) पुं०=नट।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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नटवा सरसों :
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पुं० [हिं० नाटा+सरसों] साधारण सरसों। |
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नटसार :
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स्त्री०=नाट्य शाला। |
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नटसाल :
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स्त्री० [हि० नट+सालना] १. काँटे का वह अंश जो धँसने पर टूटकर शरीर के अंदर रह जाता है और सालता या कसकता रहता है। २. तीर या बाण की गाँसी का वह अंश जो शरीर के अंदर टूटकर रह गया हो। ३. ऐसी मानसिक पीड़ा या व्यथा जो अन्दर ही रह-रहकर बहुत दुःखी करती हो। कसक। |
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नटाई :
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स्त्री० [हिं० नट] जुलाहों का एक उपकरण जिससे वे किनारे का ताना तानते हैं। |
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नटांतिका :
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स्त्री० [नट-अंतिका, ष० त०] १. लज्जा। शरम। २. नम्रता। विनय। |
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नटि :
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स्त्री० [हिं० नटना] नटने की क्रिया या भाव। नटनि। स्त्री०=नटी। |
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नटित :
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पुं० [सं०√नट्+क्त] अभिनय। |
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नटिन :
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स्त्री० [हिं० नट] नट जाति की स्त्री। |
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नटी :
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स्त्री० [सं० नट+ङीष्] १. नाटक में अभिनेत्री। २. सूत्रधार की स्त्री। ३. नर्तकी। ४. नट जाति की स्त्री। ५. रंडी। वेश्या। ६. नखी नामक गन्ध द्रव्य। |
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नटुआ :
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पुं० १.=नट। २.=नटई (गला)। |
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नटेश :
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पुं० [नट-ईस, ष० त०] १. नटो में सर्वश्रेष्ठ। २. महादेव। शिव। |
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नटेश्वर :
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पुं० [नट-ईश्वर, ष० त०]=नटेश। |
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नटैया :
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स्त्री०=नटई (गरदन या गला)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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