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पाबंद  : वि० [फा०] [भाव० पाबंदी] १. जिसके पैर बँधे हुए हों। २. किसी प्रकार के बंधन में पड़ा हुआ। बद्ध। जैसे—नौकरी या मालिक का पाबंद। ३. पूर्ण रूप से किसी नियम, वचन, सिद्धांत आदि का ठीक समय पर पालन करनेवाला। जैसे—वक्त का पाबंद, हुकुम का पाबंद। ४. जो उक्त के आधार पर कोई काम करने के लिए बाध्य या विवश हो। पुं० १. घोड़े का पिछाड़ी, जिससे उसके पैर बाँधे जाते हैं। २. नौकर। सेवक।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पाबंद  : वि० [फा०] [भाव० पाबंदी] १. जिसके पैर बँधे हुए हों। २. किसी प्रकार के बंधन में पड़ा हुआ। बद्ध। जैसे—नौकरी या मालिक का पाबंद। ३. पूर्ण रूप से किसी नियम, वचन, सिद्धांत आदि का ठीक समय पर पालन करनेवाला। जैसे—वक्त का पाबंद, हुकुम का पाबंद। ४. जो उक्त के आधार पर कोई काम करने के लिए बाध्य या विवश हो। पुं० १. घोड़े का पिछाड़ी, जिससे उसके पैर बाँधे जाते हैं। २. नौकर। सेवक।
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पाबंदी  : स्त्री० [फा०] १. पाबंद होने की अवस्था, क्रिया या भाव। बद्धता। २. वचन, समय, सिद्धान्त आदि के पालन करने की जिम्मेदारी। ३. उक्त के फल-स्वरूप होनेवाली लाचारी या विवशता।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पाबंदी  : स्त्री० [फा०] १. पाबंद होने की अवस्था, क्रिया या भाव। बद्धता। २. वचन, समय, सिद्धान्त आदि के पालन करने की जिम्मेदारी। ३. उक्त के फल-स्वरूप होनेवाली लाचारी या विवशता।
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