शब्द का अर्थ
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पीय :
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पुं०=पिय (प्रियतम)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पीय :
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पुं०=पिय (प्रियतम)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पीयर :
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वि०=पीला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पीयर :
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वि०=पीला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पीया :
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पुं०=प्रिय। (प्रियतम) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पीया :
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पुं०=प्रिय। (प्रियतम) |
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समानार्थी शब्द-
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पीयु :
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पुं० [सं०√पा (पीना)+कु, नि, सिद्धि] १. काल। २. सूर्य। ३. थूक। ४. कौआ। ५. उल्लू। वि० १. हिंसक। २. प्रतिकूल। |
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समानार्थी शब्द-
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पीयु :
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पुं० [सं०√पा (पीना)+कु, नि, सिद्धि] १. काल। २. सूर्य। ३. थूक। ४. कौआ। ५. उल्लू। वि० १. हिंसक। २. प्रतिकूल। |
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समानार्थी शब्द-
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पीयूक्षा :
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स्त्री० [सं० पीयु√उक्ष् (सींचना)+अ+टाप्] पाकर की एक जाति। |
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स्त्री० [सं० पीयु√उक्ष् (सींचना)+अ+टाप्] पाकर की एक जाति। |
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पीयूख :
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पुं०=पीयूष।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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पीयूख :
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पुं०=पीयूष।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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पीयूष :
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पुं० [सं०√पीय् (संतुष्ट करना)+ऊषन्] १. अमृत। सुधा। २. दूध। ३. गाय आदि के प्रसव के उपरांत, पहले सात दिनों का दूध जो अग्राह्य माना जाता है। पेऊस। |
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समानार्थी शब्द-
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पीयूष :
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पुं० [सं०√पीय् (संतुष्ट करना)+ऊषन्] १. अमृत। सुधा। २. दूध। ३. गाय आदि के प्रसव के उपरांत, पहले सात दिनों का दूध जो अग्राह्य माना जाता है। पेऊस। |
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पीयूष-ग्रंथि :
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स्त्री० [मध्य० स०] शरीर के अन्दर मस्तिष्क के निचले भाग की एक ग्रंथि जो कफ उत्पन्न करती है। (पिटयूटरी ग्लैंड)। |
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पीयूष-ग्रंथि :
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स्त्री० [मध्य० स०] शरीर के अन्दर मस्तिष्क के निचले भाग की एक ग्रंथि जो कफ उत्पन्न करती है। (पिटयूटरी ग्लैंड)। |
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पीयूष-पाणि :
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वि० [ब० स०] १. जिसके हाथ में अमृत हो। २. जिसके हाथ की दी हुई चीज में अमृत का सा गुण हों। जैसे—वे पीयूष-पाणि वैद्य थे। |
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पीयूष-पाणि :
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वि० [ब० स०] १. जिसके हाथ में अमृत हो। २. जिसके हाथ की दी हुई चीज में अमृत का सा गुण हों। जैसे—वे पीयूष-पाणि वैद्य थे। |
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पीयूष-भानु :
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पुं० [ब० स०] चंद्रमा। |
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पीयूष-भानु :
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पुं० [ब० स०] चंद्रमा। |
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समानार्थी शब्द-
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पीयूष-रुचि :
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पुं० [ब० स०] चंद्रमा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पीयूष-रुचि :
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पुं० [ब० स०] चंद्रमा। |
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पीयूष-वर्ष :
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पुं० [सं० पीयूष√वृष् (बरसना)+अण्] १. अमृत की वर्षा करनेवाला, चंद्रमा। २. संस्कृत के जयदेव नामक कवि। ३. कपूर। ४. एक प्रकार का छंद जिसके प्रत्येक चरण में १॰ और ९ के विश्राम से १९ मात्राएँ और अंत में गुरु लघु होता है। इसे आनन्दवर्द्धक भी कहते हैं। |
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पीयूष-वर्ष :
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पुं० [सं० पीयूष√वृष् (बरसना)+अण्] १. अमृत की वर्षा करनेवाला, चंद्रमा। २. संस्कृत के जयदेव नामक कवि। ३. कपूर। ४. एक प्रकार का छंद जिसके प्रत्येक चरण में १॰ और ९ के विश्राम से १९ मात्राएँ और अंत में गुरु लघु होता है। इसे आनन्दवर्द्धक भी कहते हैं। |
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