शब्द का अर्थ
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ब्राह्मण :
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पुं० [सं० ब्रह्मन्+अण्] [स्त्री० ब्राह्मणी] १. हिदुओं के चार वेदों में से पहला और सर्वक्षेष्ठ वर्ण जिसके मुख्य वेदों का पठन-पाठन यज्ञ-ज्ञानोपदेश आदि हैं। २. उक्त जाति या वर्ण का मनुष्य। द्विज। विप्र। ३. वेदों का वह भाग जो उनके मंत्र भाग से भिन्न हैं। ४. विष्णु। ५. शिव। ६. अग्नि। |
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ब्राह्मण ब्रुव :
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पुं० [सं० ब्राह्मण√ब्रू (बोलना)+क] कर्म और संस्कार से हीन तथा नाममात्र का ब्राह्मण। |
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ब्राह्मण भोजन :
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पुं० [सं० ष० त०] बहुत से ब्राह्मणों को बुलाकर कराया जानेवाला भोजन। |
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ब्राह्मणक :
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पुं० [सं० ब्राह्मण+कन्] निंदनीय या बुरा ब्राह्मण। |
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ब्राह्मणत्व :
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पुं० [सं० ब्राह्मण+त्व] ब्राह्मण होने की अवस्था, धर्म या भाव। ब्राह्मण-पन। |
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ब्राह्मणायन :
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पुं० [सं० ब्राह्मण+फक्—आयन] विद्वान और विशुद्ध। ब्राह्मणकुल में उत्पन्न ब्राह्मण। |
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ब्राह्मणी :
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स्त्री० [सं० ब्राह्मण+ङीष्] १. ब्राह्मम जाति की स्त्री। २. बुद्धि। ३. एक प्राचीन तीर्थ। |
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ब्राह्मण्य :
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पुं० [सं० ब्राह्मण+यत्] १. ब्राह्मण का धर्म या गुण। ब्राह्मणत्व। २. ब्राह्मणों का वर्ग या समाज। ३. शनि ग्रह। |
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