शब्द का अर्थ
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					मनोज					 :
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					पुं० [सं० मानस्√जन् (उत्पन्न करना)+ड] कामदेव। मदन।				 | 
			
			
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					मनोज					 :
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					वि० [सं० मनस्√ज्ञा (जानना)+क] [स्त्री० मनोज्ञा] मनोहर। सुंदर। पुं० कुन्द का पौधा और फूल।				 | 
			
			
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					मनोज-वृद्धि					 :
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					स्त्री० [सं० ब० स०] कामवृद्धि नामक क्षुप। कामज्ञ।				 | 
			
			
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					मनोजव					 :
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					वि० [सं० मनस्-जब, ब० स०] १. मन के समान वेगवान्। अत्यन्त वेगवान्। २. वितृतुल्य। बड़ों के समान। पुं० १. विशद। २. रुद्र के एक पुत्र का नाम। ३. एक प्राचीन तीर्थ ४. छठें मन्वन्तर के इन्द्र का नाम। ५. अनिल या वायु के एक पुत्र जो उसकी शिवा नाम की पत्नी से उत्पन्न हुआ था।				 | 
			
			
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					मनोजवा					 :
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					स्त्री० [सं० मनोजव+टाप्] १. कलिहारी। करियारी। २. स्कंद की माता का नाम। ३. क्रौंच द्वीप की एक नदी। ४. अग्नि की एक जिह्वा का नाम।				 | 
			
			
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					मनोज्ञता					 :
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					स्त्री० [सं० मनोज्ञ+तल्+टाप्] सुंदरता। मनोहरता। खूबसूरती।				 | 
			
			
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					मनोज्ञा					 :
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					स्त्री० [सं० मनोज्ञ+टाप्] १. कलौंजी। २. मँगरैला। ३. जावित्री। ४. मदिरा। शराब। ५. आवर्तकी। बाँध ककोड़ा। ६. कोई सुन्दरी स्त्री, विशेषतः राजकुमारी।				 | 
			
			
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