शब्द का अर्थ
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					महर					 :
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					पुं० [सं० महत्] [स्त्री० महरि] १. ब्रज में बोला जानेवाला एक आदरसूचक शब्द जिसका प्रयोग विशेषतः जमींदारों और वैश्यों आदि के संबंध में होता है। २. एक प्रकार का पक्षी। ३. दे० ‘महरा’। वि० =महमहा (सुगंधित)। पुं० [फा०] वह रकम जो निकाह के समय दुल्हिन को देनी निश्चित की जाती है। (मुसलमान)। क्रि० प्र०—बँधना।—बाँधना।				 | 
			
			
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					महरबान					 :
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					पुं० =मेहरबान।				 | 
			
			
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					महरम					 :
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					पुं० [अ० मह्रम] १. कन्या की दृष्टि से ऐसा व्यक्ति जिससे उसका विवाह न हो सकता हो। २. वह जो भीतरी रहस्य से परिचित हो। हार्दिक मित्र। स्त्री० [?] १. अंगिया। २. अंगिया की कटोरी।				 | 
			
			
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					महरा					 :
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					पुं० [हिं० महता] [स्त्री० महरी] १. कहार। २. मुखिया। सरदार। ३. पूज्य या श्रेष्ठ व्यक्ति। वि० १. प्रधान। मुख्य। २. पूज्य या श्रेष्ठ।				 | 
			
			
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					महराई					 :
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					स्त्री० [हिं० महर+आई (प्रत्यय)] १. महर होने की अवस्था या भाव। २. प्रधानता। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					महराज					 :
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					पुं० =महाराज। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					महराजा					 :
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					पुं० =महाराज। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					महराण					 :
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					पुं० [सं० महार्णव] समुद्र। (डिं०)				 | 
			
			
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					महराना					 :
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					पुं० [हिं० महर+आना (प्रत्यय)] महरों के रहने की जगह, महल्ला या गाँव। पुं० =महाराणा। अ०=मेहराना।				 | 
			
			
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					महराब					 :
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					स्त्री०=मेहराब।				 | 
			
			
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					महरि					 :
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					स्त्री० [हिं० महर] १. एक प्रकार का आदरसूचक शब्द जिसका व्यवहार ब्रज में किसी प्रतिष्ठित स्त्री, विशेषतः सास के लिए होती है। २. घर की मालकिन। गृह-स्वामिनी। ३. ग्वालिन (चिड़िया)। स्त्री०=मेहर। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					महरी					 :
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					स्त्री० [देश] ग्वालिन। चिड़िया। स्त्री० हिं० ‘महरा’ का स्त्री।				 | 
			
			
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					महरुआ					 :
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					पुं० [देश] जस्ता। (सुनार) (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					महरू					 :
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					पुं० [देश] १. चंडू पीने की नली। २. एक प्रकार का वृक्ष।				 | 
			
			
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					महरूम					 :
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					वि० [अ० मह्रूम] १. जिसे की चीज न मिल सकी हो। जो कुछ पाने से रह गया हो। वंचित। २. अभागा।				 | 
			
			
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					महरूमी					 :
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					स्त्री० [अ० मह्रूमी] १. महरूम होने की अवस्था या भाव। २. बदकिस्मती।				 | 
			
			
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					महरेटा					 :
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					पुं० [हिं० महर+एटा (प्रत्यय)] [स्त्री० महरेटी] १. महर अर्थात् मुखिया या सरदार का बेटा। २. श्रीकृष्ण।				 | 
			
			
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					महरेटी					 :
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					स्त्री० [हिं० महरेटा] वृषभानु महर की लड़की राधिका।				 | 
			
			
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					महर्घ					 :
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					वि० =महार्घ।				 | 
			
			
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					महर्घता					 :
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					स्त्री०=महार्घता।				 | 
			
			
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					महर्लोक					 :
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					पुं० [सं० कर्म० स०] पुराणानुसार भू, भ्रुवः आदि चौदह लोकों में से एक। विशेष—अरविन्द दर्शन में यह लोक ऊपर के तीन लोकों—सत् चित् और आनन्द तथा नीचे के तीन लोकों, भू, भ्रुवः स्वः के मध्य में माना गया है, और इसी में प्रति-मानस (देवों) का निवास माना गया है।				 | 
			
			
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					महर्षभी					 :
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					स्त्री० [सं० महती-ऋषभी, कर्म० स०] कौंछ। केवाँच।				 | 
			
			
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					महर्षि					 :
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					पुं० [सं० महत्-ऋषि, कर्म० स०] १. बहुत बड़ा ऋषि। ऋषीश्वर। जैसे—वेदव्यास २. संगीत में एक प्रकार का राग जो भैरव के आठ पुत्रों में से एक कहा गया है।				 | 
			
			
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					महर्षिका					 :
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					स्त्री० [हिं० महर्षि+कन्+टाप्] भटकटैया।				 | 
			
			
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