शब्द का अर्थ
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					महिष					 :
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					पुं० [सं०√मह्+टिषच्] [स्त्री० महिषी] १. भैंसा। २. वह राजा जिसका अभिषेक शास्त्रानुसार हुआ हो। ३. एक प्राचीन वर्णसंकर जाति। ४. एक साम का नाम। ५. कुश द्वीप का एक पर्वत।				 | 
			
			
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					महिष-कंद					 :
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					पुं० [सं० मध्य० स०] भैंसा कंद।				 | 
			
			
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					महिष-ध्वज					 :
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					पुं० [सं० ब० स०] १. यमराज। २. जैनों के एक अर्हत्।				 | 
			
			
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					महिष-मंडल					 :
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					पुं० [सं०] प्राचीन भारत में आधुनिक हैदराबाद के दक्षिण भाग का एक नाम।				 | 
			
			
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					महिष-वल्ली					 :
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					स्त्री० [सं० मध्य० स०] छिरेटा (लता)।				 | 
			
			
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					महिष-वाहन					 :
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					पुं० [सं० ब० स०] यमराज।				 | 
			
			
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					महिषध्नी					 :
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					स्त्री० [सं० महिष√उहन् (मारना)+टक्+ङीष्] दुर्गा।				 | 
			
			
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					महिषमर्दिनी					 :
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					स्त्री० [सं० महिष√मृद् (मर्दन करना)+णिनि+ङीष्] दुर्गा का एक नाम और रूप।				 | 
			
			
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					महिषाकार					 :
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					वि० [सं० महिष-आकार, ब० स०] १. भैसें के आकार का। २. बहुत बड़े डील-डौलवाला।				 | 
			
			
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					महिषाक्ष					 :
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					पुं० [सं० महिष-अक्षि, ब० स०+षच्] १. भैंसा। २. गुग्गुल।				 | 
			
			
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					महिषाछ्न					 :
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					पुं० [सं० महिष√अर्द (मर्दन करना)+ल्युट-अन] कार्तिकेय।				 | 
			
			
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					महिषासुर					 :
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					पुं० [सं० महिष-असुर, मध्य० स०] भैसें के से मुँहवाला एक प्रसिद्ध दैत्य जो रम्भ नाम दैत्य का पुत्र था। इसका वध दुर्गा ने किया था। (पुराण)।				 | 
			
			
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					महिषी					 :
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					स्त्री० [सं० महिष+ङीष्] १. भैंस। २. राजा की वह पटरानी जिसका उसके साथ अभिषेक हुआ हो। ३. सैरिध्री। ४. एक प्रकार की औषधि।				 | 
			
			
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					महिषी-कंद					 :
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					पुं० [सं० मध्य०स] भैंसा कंद। शुभ्रालु				 | 
			
			
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					महिषी-प्रिया					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] शूकी (घास)।				 | 
			
			
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					महिषेश					 :
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					पुं० [सं० महिष-ईश, ष० त०] १. यमराज। २. महिषासुर। (दे०)।				 | 
			
			
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					महिषोत्सर्ग					 :
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					पुं० [सं० महिष-उत्सर्ग, ष० त०] एक प्रकार का यज्ञ।				 | 
			
			
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					महिष्ठ					 :
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					वि० [सं०√मह (पूजा)+इष्ठन्] १. बहुत बड़ा। २. महिमापूर्ण।				 | 
			
			
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