शब्द का अर्थ
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					मालती					 :
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					स्त्री० [सं०√मल्+ अतिच् दीर्घ+ङीष्] १. एक प्रकार की लता, जिसमें वर्षा ऋतु में सफेद रंग के सुगंधित फूल लगते हैं। २. उक्त लता का फूल। ३. छः अक्षरो की एक प्रकार की वर्णवृत्ति जिसके प्रत्येक चरण में क्रम से एक नगण, दो जगण और एक रगण होता है। ४. मदिरा नामक छंद। ५. सवैया के मत्तगयंद नामक भेद का दूसका नाम। ६. युवती स्त्री। ६. चंद्रमा की चाँदनी। ज्योत्स्ना। ८. रात्रि। रात। ९. पाढ़ा नाम की लता। १॰. जात्री या जाय-फलनामक वृक्ष।				 | 
			
			
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					मालती-क्षार					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] सुगाहा।				 | 
			
			
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					मालती-जात					 :
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					पुं० [सं० स० त०] सुहागा।				 | 
			
			
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					मालती-टोड़ी					 :
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					स्त्री० [हिं० मालती+टोड़ी] सम्पूर्ण जाति की एक रागिनी जिसमें शुद्ध स्वर लगते हैं।				 | 
			
			
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					मालती-पत्रिका					 :
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					स्त्री० [सं० ष० त०] जावित्री।				 | 
			
			
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					मालती-फल					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] जायफल।				 | 
			
			
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