शब्द का अर्थ
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					मुक्तक					 :
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					पुं० [सं० मु्क्त+कन्] १. प्राचीन काल का एक अस्त्र जो फेंककर मारा जाता था। २. शस्त्र। हथियार। ३. ऐसा सरल और सीधा गद्य जिसमें छोटे-छोटे वाक्य हों। ४. काव्य का वह प्रकार या भेद (प्रबन्ध-काव्य से भिन्न) जिसमें वर्णित बातों का कोई पूर्वापर सम्बन्ध न हो, अर्थात् एक ही छंद में कोई पूरी बात या विषय आ गया हो, आगे या पीछे के दूसरे छंदो से उसका कोई सम्बन्ध न हो। जैसे—बिहारी सतसई मुक्तक काव्य है। ५. छंद शास्त्र में कवित्त का वह प्रकार या भेद जिसमें गणों का कोई बन्धन नही होता, केवल अक्षरों की संख्या और कहीं-कहीं गुरु-लघु का कुछ ध्यान रखा जाता है।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					मुक्तक-ऋण					 :
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					पुं० [सं० कर्म० स०] वह ऋण जिसके सम्बन्ध में कुछ लिखा-पढ़ी न हो। जबानी बातचीत पर दिया या लिया हुआ ऋण।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					मुक्तकंठ					 :
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					वि० [सं० ब० स०] १. जोर में बोलनेवाला २. बेधड़क बोलनेवाला। ३. जो बोलने में बन्धन या सीमा न मानता हो। जैसे—मुक्त कंठ होकर प्रशंसा करना।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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