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शब्द का अर्थ
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विधर्म :
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वि० [सं०] १. धर्मशास्त्र की आज्ञा, विधि आदि से बाहर का। अधार्मिक। धर्महीन। २. जिससे किसी की धार्मिक भावना को आघात लगता हो। ३. अन्यायपूर्ण। ४. अवैध। पुं० १. किसी की दृष्टि से उसके धर्म से भिन्न धर्म। २. ऐसा कार्य जो किया तो गया हो अच्छी भावना से, परन्तु जो वस्तुतः धर्मशास्त्र के नियम के विरुद्ध हो। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
विधर्मक :
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वि० [सं०] १. विधर्म-संबंधी। विधर्म का। २. विधर्म के रूप में होनेवाला। ३. दे० ‘विधर्मी’। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
विधर्मिक :
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वि० [सं०]=विधर्मक। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
विधर्मी (र्मिन्) :
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पुं० [सं० विधर्म+इनि] १. वह जो अपने धर्म के विपरीत आचरण करता हो। धर्म-भ्रष्ट। २. जो किसी दूसरे धर्म का अनुयायी हो। ३. जिसने अपना धर्म छोड़कर कोई दूसरा धर्म अंगीकृत कर लिया हो। |
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समानार्थी शब्द-
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