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संवरण  : पुं० [सं०] [वि० संवरणीय] १. दूर करना। हटाना। २. बन्द करना। ३. आच्छादित करना। ढकना। ४. छिपाना। ५. कोई ऐसी चीज जिसमें कोई दूसरी चीज छिपाई, ढकी या रोकी जाय। ६. आड़ करने या बचाने वाली चीज। ७. मनोवेग आदि को दबा या रोककर वश में रखना। नियंत्रण से बाहर न होने देना। निग्रह। जैसे—क्रोध या लोभ का संवरण करना। ८. जलाशयों आदि का बाँध। ९. पुल। सेतु। १॰. पसंद करना। चुनना। ११. कन्या का विवाह के लिए अपना पति या वर चुनना। १२. वैद्यक में गुदा के चमड़े की तीन तहों या पर्तों में से एक। १३. आज-कल सभा-समितियों, सँसदों आदि में किसी विषय पर यथेष्ट वाद-विवाद हो चुकने पर किया जाने वाला उसका अंत या समाप्ति। (क्लोजर)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
संवरणीय  : वि० [सम्√वृ (वरण करना)+अनीयर्] [स्त्री० संवरणीया] १. जिसका संवरण हो सकता हो या होना उचित हो। २. जिसे छिपाकर रखना वांछित हो। गोपनीय। ३. जो वरण अर्थात विवाह के योग्य हो चुका हो।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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