ई-पुस्तकें >> ऑथेलो (नाटक) ऑथेलो (नाटक)रांगेय राघव
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Othello का हिन्दी रूपान्तर
इआगो : नहीं, किन्तु है यह सत्य ही, भले ही आप मुझे इसके लिए तुर्क कह लें-विधर्मी कह लें, बर्बर कह लें। जागने पर तुम्हारा मन व्यर्थ के आनन्दों की प्राप्ति की ओर जाता है, क्रीड़ारत रहता है, पर जब बिस्तर की ओर जाती हो मानो कोई बड़ा काम करने जाती हो।
इमीलिया : आपको मेरी प्रशस्ति गाने की ज़रूरत ही क्या है?
इआगो : बेहतर है, क्योंकि जो मैं कहूँगा वह प्रकट ही है।
डैसडेमोना : अच्छा! अगर मैं कहूँ कि मेरा वर्णन करो, तो तुम क्या कहोगे?
इआगो : रहने दें देवी! मुझे कहने को विवश न करें, क्योंकि आलोचना में मैं बड़ा मुँहफट हूँ।
डैसडेमोना : कोई बात नहीं। कहो तो! हाँ, कोई बन्दरगाह की ओर उस जहाज़ की खबर लाने गया है या नहीं, जिसको अभी तोपों ने सलामी दी थी?
इआगो : हाँ, देवी!
डैसडेमोना : मैं प्रसन्न नहीं हूँ। मैं अपने हृदय की भावना को छिपाने के लिए ही इधर-उधर की बातों में मन लगाए रहने की चेष्टा कर रही हूँ। अच्छा चलो! मेरा वर्णन करने का प्रयत्न करो!
इआगो : मैं समझ नहीं पाता कि कैसे कहूँ। मेरे विचारों को मेरे मस्तिष्क में से निकलने में उतना ही कष्ट हो रहा है जितना ऊन में से लासा निकालते समय होती है। सारा दिमाग ही उखड़ता-सा लगता है। किन्तु मेरी म्यूज़ * (* म्यूज़-कला की देवी।) श्रमरत है। लीजिए सुनिए, वह कहती है-यदि वह सुन्दरी और विदुषी है, तो सौंदर्य आनन्द प्राप्त करने के लिए है और बुद्धि उसकी अपनी वस्तु है, जिससे वह अपने सौन्दर्य को और भी सुन्दर बनाती है।
डैसडेमोना : खूब कहा! किन्तु यदि वह काले रंग की है और चतुर भी है तो?
इआगो : काली होने पर भी यदि वह चतुर है तो उसे एक गोरा प्रेमी अवश्य मिलेगा जो उसके कालेपन के उपयुक्त होगा।
डैसडेमोना : ऊहूँ, यह तो अच्छा नहीं।
इमीलिया : अच्छा! यदि वह गोरी हो पर मूर्ख हो!
इआगो : गोरी और सुन्दर स्त्री को आज तक किसने मूर्ख कहा? उसकी तो मूर्खता भी उसे सदैव उत्तराधिकारी प्राप्त करा देती है।
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