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ऑथेलो (नाटक)

रांगेय राघव

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :184
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10117

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Othello का हिन्दी रूपान्तर

इआगो : क्या तुम कुछ समय बाद बन्दरगाह पर मिलोगे? यदि तुम वीर हो, और जैसा कि कहा जाता है कि क्षुद्र व्यक्ति भी प्रेम में इतने उदात्त हो जाते हैं, जितने कि वे होते नहीं, तो मेरी बात सुनो! आज रात लेफ्टिनेण्ट की ड्यूटी है रात्रि-प्रहरियों और रक्षकों की देख-भाल करना। एक बात पहले बता दूँ कि डेसडेमोना और कैसियो में गहरी प्रीति है।

रोडरिगो : उससे? यह कैसे हो सकता है?

इआगो : चुपचाप मेरी बात सुनो और अपने मुँह को बन्द ही रखो! याद है न? शुरू में ऑथेलो की बड़ी-बड़ी बातें सुनकर डैसडेमोना ने किस आवेश से उससे प्रेम किया था! लेकिन बातों के कारण तो वह सदैव वैसा ही प्रेम नहीं कर सकती! अगर तुममें थोड़ी भी बुद्धि है, तो शायद तुम भी ऐसा नहीं समझोगे। अपने हृदय की इच्छाओं को पूर्ण करने के लिए उसे कोई सुन्दर पात्र चाहिए। भला ऐसे शैतान के-से कुरूप मूर को देखकर वह सुख कैसे पा सकती है! जब पहली वासना का आवेश शान्त हो जाता है, तब उस अग्नि को भड़काने के लिए किसी नई वस्तु की आवश्यकता होती है-समवयस्कता, सुन्दर मुख, अच्छा स्वभाव और रुचियाँ, इनमें से कोई भी ऐसी उत्तेजना दे सकता है। मूर में तो ऐसा कोई गुण नहीं। अत: यह स्पष्ट ही है कि जब ऐसी कोई बात डैसडेमोना को नहीं मिलेगी जिसमें उसका मन रम सके, तो उसका कोमल स्वभाव उचाट खाएगा और उसकी आँखों से सारे पर्दे उतर जाएँगे। उसे लगेगा वह सब कुछ खो चुकी है। वह उससे ऊबने लगेगी और तब वह अपने स्वभाव से मेल खानेवाले प्रेमी की खोज करने लगेगी। अब अगर ऐसी हालत हो जाए और इसके सिवाय कुछ हो नहीं सकता, तब कैसियो के सिवाय और ऐसा कौन है जो उस परिस्थिति में अधिक उपयुक्त और भाग्यशाली दीखता हो? वह बड़ा मिठबोला है और ऐसी नैतिकता उसके पीछे नहीं कि जो अपनी जघन्य तृष्णा पूरी करने के लिए मीठे व्यवहार का दिखावा करने से उसे रोक दे। उसके अतिरिक्त ऐसा कोई नहीं जिसको डैसडेमोना अपने प्रेम का पात्र बना सके। वह बड़ा अविश्वसनीय व्यक्ति है और अवसरवादी भी है। वह अपने अनुकूल परिस्थितियाँ बनाना जानता है और ऐसे मौके कभी नहीं चूकता जिनमें वह अपनी कलुषित वासनाओं की तृप्ति कर सके। वह पक्का शैतान है। और फिर जवान है, खूबसूरत है और कमसिन, अनुभवहीन और मूर्खों को आकर्षित करने के सारे गुण उसमें मौजूद हैं। वह पक्का धूर्त है। और डैसडेमोना ने तो उसके प्रति अपने आकर्षण को प्रकट भी कर दिया है।

रोडरिगो : लेकिन, जाने क्यो मुझे इस सब में विश्वास नहीं होता। वह स्त्री सर्वश्रेष्ठ मानवी गुणों से पूर्ण है।

इआगो : क्या मूर्खता की बात है! वह एक साधारण स्त्री-मात्र है और उसमें भी वही वासनाएँ तथा पाप की ओर लिप्त होने की तृष्णा है। यदि वह असाधारण होती तो वह मूर के प्रेम में कभी नहीं पड़ती। वह भी अंगूर की शराब ही पीती है। अरे अक्ल के दुश्मन! देखा नहीं था, वह कैसे उसके हाथ को दबा रही थी? अच्छा कहो, तुमने नहीं देखा?

रोडरिगो : देखा क्यों नहीं था, लेकिन वह तो सौजन्य की बात थी?

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