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ऑथेलो (नाटक)

रांगेय राघव

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :184
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10117

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Othello का हिन्दी रूपान्तर

इआगो : (रोडरिगो से अलग से) भाग-भाग! तुरन्त बाहर जाकर शोर करके आसमान सिर पर उठा ले! खूब चिल्लाना : गदर! गदर! बलवा! बलवा!

(रोडरिगो का प्रस्थान)

सुनिए वीर लेफ्टिनेण्ट! भगवान की मर्ज़ी! महाशयो! बचाओ! लेफ्टिनेण्ट मोनटानो! श्रीमान! बचाओ। स्वामी! लो-लो, घण्टा बज गया। (घण्टा बजता है।) खतरे का घण्टा! कौन बजा रहा है घण्टा! उफ, शैतान! नगर जाग उठेगा। भगवान की इच्छा! अरे रुको! कभी सिर उठाने लायक नहीं रहोगे!

(ऑथेलो और सेवकों का प्रवेश)

ऑथेलो : क्या बात है?

मोनटानो : ईश्वर की सौगन्ध। मेरा खून बह रहा है। उफ, कितनी चोट लगी है। कितना घायल हो गया हूँ।

(मूर्छित हो जाता है।)

ऑथेलो : जान प्यारी है तो हाथ रोक दो!

इआगो : रुको-रुको लेफ्टिनेण्ट! मोनटानो! श्रीमान! नागरिको! क्या समय, स्थान और कर्तव्य! आप सबको भूल गए हैं? मैं कहता हूँ रुको! जनरल आपसे कुछ कहना चाहते हैं? धिक्कार है! रुकिए, रुकिए!

ऑथेलो : रुक जाओ! ठहर जाओ! कैसे हुआ यह सब! किसने की इसकी शुरुआत! क्या हम तुर्कों जैसे हो गए हैं? भगवान ने तुर्कों जैसे शत्रु को हटाया था, क्या इसीलिए कि हम आपस में लड़ मरें? ईसाई धर्म की लाज कहाँ है तुम्हारी? यह बर्बर झगड़ा! अगर अब किसी का गुस्से से उमंगकर हाथ भी हिला तो समझ लो उसे अपनी जान की परवाह नहीं! जो हिला सो मरा! उस भयानक घण्टे का बजाना रोक दो, व्यर्थ ही द्वीप-निवासियों पर आतंक छा जाएगा। अब कहिए, क्या बात है! इआगो! तुम ईमानदार हो! दुःख के मारे कैसी मुर्दनी छा गई है तुमपर! बोलो! इसे किसने शुरू किया। मेरे प्रति तेरे प्रेम की सौगन्ध! मैं तुझसे पूछता हूँ।

इआगो : मैं नहीं जानता। क्षण-भर पहले तो सब एक-दूसरे के मित्र थे, मानो दूल्हा-दुल्हन हों और क्षण-भर बाद ही खड्ग लेकर एक-दूसरे पर टूट पड़े। फिर ऐसे लहू के प्यासे हो गए जैसे आकाश ग्रहों ने इनकी मति फेर दी। कैसे बताऊँ कि इस दुर्घटना का प्रारम्भ कैसे हुआ। अच्छा होता किसी गौरवमय युद्ध में मेरे पाँव ही कट जाते तो कम से कम मैं ऐसा दृश्य देखने को यहाँ उपस्थित तो न होता!

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