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ऑथेलो (नाटक)

रांगेय राघव

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :184
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10117

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Othello का हिन्दी रूपान्तर

वह देखो! वे मशालें इधर कैसे बढ़ी आ रही हैं?

इआगो : वे शायद श्रीमती के पिता और सम्बन्धी हैं, जो जाग उठे हैं। आप, बेहतर हो भीतर चले जाएँ।

ऑथेलो : कभी नहीं। मैं यहीं बाहर रहूँगा। मैं अपनी स्थिति, सरल-हृदय और सहज स्वभाव के अनुरूप ही उनसे मिलूँगा। क्या ये वही हैं?

इआगो : जेनस की सौगन्ध, यह तो वे लोग नहीं। (जेनस : एक रोमन देवता-जिसके दो सिर थे। जनवरी महीने का नाम इसी जेनस के नाम पर पड़ा है, क्योंकि वह महीना गत वर्ष और नए बर्ष दोनों को देखता है।)

ऑथेलो : यह तो ड्यूक के सेवक और मेरा लेफ्टिनेण्ट कैसियो है।

दोस्तो, नमस्ते ! क्या सँवाद है? (गुडनाइट - अंग्रेज़ी में किसी भी स्थिति का व्यक्ति अपने से नीचे वाले से कहता है। हिन्दी में नमस्ते ही इस प्रकार का पर्याय है, यद्यपि नमस्ते के अपने बन्धन हैं। आगे से हम भी गुडमार्निंग, गुडनाइट आदि शब्दों का प्रयोग करेंगे, क्योंकि वे भी प्राय: प्रचलित हैं।  )

कैसियो : जनरल! ड्यूक ने आपकी शुभकामना की है और वे चाहते हैं कि आप तुरन्त उनके सम्मुख उपस्थित हों।

ऑथेलो : क्यों? बात क्या है?

कैसियो : जहाँ तक मेरा ख्याल है, साइप्रस के बारे में कोई बात है। है विषय महत्त्वपूर्ण ही, क्योंकि जहाज़ों से एक के बाद एक करके बारह दूत आ चुके हैं और नींद में से जगा-जगाकर सिनेट के कई सदस्य ड्यूक के निवास-स्थान पर एकत्र भी कर लिए गए हैं। आपकी उपस्थिति की अत्यन्त आवश्यकता है। जब आप अपने निवास-स्थान पर नहीं मिले तब सिनेट ने तीन दल बनाकर लोगों को आपको भिन्न-भिन्न स्थानों में खोजने को रवाना किया है।

ऑथेलो : अच्छा हुआ तुम मुझे मिल गए। मैं ज़रा घर में एक बात कहकर अभी तुम्हारे साथ चलता हूँ।

(प्रस्थान)

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