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बाल एवं युवा साहित्य >> आओ बच्चो सुनो कहानी

आओ बच्चो सुनो कहानी

राजेश मेहरा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :103
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10165

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किताबों में तो बच्चो की सपनों की दुनिया होती है।

बाज़ार का खाना


आज राजू फिर अपने पापा के साथ मार्केट जाने की जिद करने लगा। उसकी माँ बोली, "इसे साथ मत लेकर जाइए। ये फिर कुछ न कुछ बाज़ार की बनी चीज खाने को मांगेगा।

राजू बोला, "माँ मैं कुछ भी नहीं मांगूंगा, प्रोमिस।" इतना कह कर अपने पापा का हाथ पकड़ कर उन्हें बाज़ार की तरफ लेकर चल दिया।

बाज़ार में उसके पापा खरीदारी करके चलने लगे तो राजू अपनी माँ की सारी बातें भूल गया और अपने पापा से बाज़ार में बन रही चाउमीन को खाने की जिद्द करने लगा।

उसके पापा बोले, "राजू, इसीलिए मैं और तुम्हारी माँ तुम्हें बाज़ार नहीं लाते। ये कोई खाने की चीज है, देखो उस पर कितनी मक्खियाँ बैठी हैं और जो उसको बना रहा है उसको देखो ऐसे लगता है कि वो महीनों से नहीं नहाया। और तो और उसके तेल में देखो कितनी गन्दगी तैर रही है। मैं तुम्हें ये सब नहीं खाने दूंगा।"

लेकिन राजू ने भी जिद्द कर रखी थी कि वो चाउमीन खा कर ही रहेगा। आखिरकार थक हार कर उसके पापा ने उसको चाउमीन दिला दी और राजू उसे चाव से खाने लगा।

रास्ते में उसके पापा बोले, "राजू ये गलत बात है। तुमने अपनी माँ से प्रॉमिस किया था कि तुम ये सब बाज़ार की बनी चीजें नहीं खाओगे।"

"पापा, मैं तो बताऊँगा नहीं, आप भी मत बताना" राजू बोला।

इस पर उसके पापा बोले, "राजू हम तुम्हारी भलाई के लिए ही कहते हैं कि ये बाज़ार की चीजें नहीं खानी चाहिये। इनसे बीमारियाँ फैलती हैं और कई बार तो बीमारी ला-इलाज हो जाती है। तुमने देखा कि उस चाउमीन बनाने वाले ने हाथ में कुछ पहना भी नहीं था। उसकी सारी गन्दगी उसके द्वारा बनाई गई चाउमीन में गई है। यदि तुम्हें खाने की इतनी ही इच्छा होती है तो अपनी माँ से कह घर में बनवा लिया करो।"

राजू ने कहा, "लेकिन माँ इतना स्वादिष्ट थोड़ा बनाती है।"

राजू को तर्क करते देख उसके पापा बोले, "राजू हम तो तुम्हारी भलाई के लिए ही कहते हैं बाकी तुम्हारी मर्जी। जब बीमार पड़ोगे तो तुम्हारी समझ में आएगा।"

तब राजू बोला, "पापा, अब घर आने वाला है, आप बस माँ से कुछ नहीं कहना।"

उसके पापा हंस दिए और बोले, "वो तुम्हारी माँ है एक मिनट में पहचान जायेगी कि तुम कुछ खा कर जरूर आये हो।"

राजू बोला, "पापा, आप मेरा साथ देना बस।"

घर पहुँच कर राजू की माँ ने उसके लिए और उसके पापा के लिए खाना लगाया तो राजू बोला, "माँ मुझे भूख नहीं है मैं खाना नहीं खाऊँगा।"

"राजू फिर तुम कुछ बाज़ार का खा कर आये हो।" राजू की माँ ने उसके पापा को कहा कि आपके लाड़- प्यार से ये बिगड़ जाएगा और इसे तब पता लगेगा जब ये बीमार पड़ेगा।"

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