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बाल एवं युवा साहित्य >> आओ बच्चो सुनो कहानी

आओ बच्चो सुनो कहानी

राजेश मेहरा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :103
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10165

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किताबों में तो बच्चो की सपनों की दुनिया होती है।

अपने-अपने त्यौहार


आज क्रिसमस का त्यौहार था। राजू के स्कूल की छुट्टी थी इसलिए वह देर से सो कर उठा तो उसकी माँ ने पूछा, "राजू आज तुम स्कूल नहीं जाओगे?"

राजू बोला, "माँ, आपको पता नहीं आज 25 दिसम्बर है आज तो क्रिसमस का त्यौहार है।"

इस पर माँ बोली, "ये कौन सा त्यौहार होता है।"

राजू ने कहा, "माँ, ये ईसाईयों का त्यौहार है। जैसे हम लोग दिवाली मनाते है ऐसे ही ईसाई धर्म के लोग इस त्यौहार को धूमधाम से मनाते है।

इस पर माँ बोली, "मैंने तो इस त्यौहार के बारे में कभी नहीं सुना?"

"माँ, चलो हम आज इस त्यौहार को धूमधाम से मनाते है" राजू ने कहा।

माँ ने कहा, "मुझे तो इसके बारे में कुछ नहीं पता फिर हम इसको कैसे मनाएंगे?"

राजू बोला, "माँ, बिलकुल सिंपल है। हम लोग एक क्रिसमस ट्री लायेंगे और उसको सजायेंगे तथा बाद में सब लोगों को गिफ्ट बाटेंगे बस हो गया त्यौहार।"

पीछे से राजू के पापा बोले, "इतना ही नहीं, राजू इस दिन ईसाई लोग चर्च में प्रार्थना भी करते हैं उसके बाद त्यौहार मनाते हैं।"

राजू बोला, "पापा, मुझे तो अपने मंदिर में ही पूजा करनी आती है चर्च में कैसे पूजा करते हैं मुझे पता नहीं है।" तो राजू के पापा बोले, "उनकी पूजा को वो लोग प्रार्थना कहते हैं। आओ, आज हम चर्च में प्रार्थना करेंगे क्योंकि सारे धर्म हमारे देश की शान हैं और वे हमें अनेकता में एकता का का पाठ पढ़ाते हैं। सारे धर्म हमें कहते हैं कि भगवान् एक है केवल सब लोग धर्म के अनुरूप उसको मानते हैं। हमारा भारत इसलिए ही धर्मनिरपेक्ष देश है। यहाँ पर हर धर्म के लोगों को अपने धर्म के अनुसार पूजा करने व मानने की आजादी है, यह आजादी ही हमें सब देशों से अलग रखती है क्योंकि हमारा देश सारे धर्मों को एक सूत्र में पिरो के रखता है।"

राजू को सारी बाते समझ में आ रही थीं। राजू की माँ बोली, "भई तुम्हें जो करना है करो, मुझे बताओ मुझे क्या करना होगा।"

तो इसपर उसके पापा हँस के बोले, "आप तो केवल दिवाली की तरह पकवान बनाइये। तब तक मैं और राजू मार्केट तक होकर आते हैं।"

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