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बाल एवं युवा साहित्य >> आओ बच्चो सुनो कहानी

आओ बच्चो सुनो कहानी

राजेश मेहरा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :103
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10165

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किताबों में तो बच्चो की सपनों की दुनिया होती है।

राजू बड़ा खुश हुआ। वो जल्दी से नहाकर तैयार हो गया। तब तक राजू के पापा भी तैयार थे। राजू तैयार होकर बाहर निकला और अपने पापा से बोला, "पापा, हम जोनी अंकल के घर उन्हें क्रिसमस की बधाई देने भी चलेंगे।"

उसके पापा ने कहा, "ये ठीक है बल्कि हम उनके साथ ही चर्च चलते हैं प्रार्थना के लिए और उनके साथ ही हम आज ये त्यौहार मनाएंगे।"

राजू ने प्रसन्नता से हां में जवाब दिया। जोनी अंकल हमारे मोहल्ले में ही रहते थे। जोनी अंकल के दरवाजे पर पहुचते ही राजू के पापा बोले, "जोनी भाई. घर पर ही हो क्या?"

अन्दर से आवाज आई, "कौन है बाहर?"

जोनी अंकल बाहर आये और मेरे पापा को देख कर थोड़े आश्चर्यचकित हुए और पूछा, "अरे आओ, और कैसे आना हुआ?"  

राजू के पापा बोले, "भाई आज क्रिसमस है तो आपको बधाई देने आये हैं।"

जोनी अंकल एक दम से हतप्रभ रह गए। वो बोले, "मैं इतने सालों से इस मोहल्ले में हूँ लेकिन आजतक कोई क्रिसमस पर नहीं आया। आओ, अन्दर आओ।"

तो इसपर राजू के पापा ने कहा, "भाई, आज तो हम ये त्यौहार आप के साथ ही मनाएंगे, इसलिये पहले चर्च चलेंगे और वहाँ प्रार्थना करेंगे और उसके बाद का प्रोग्राम बाद में बनायेंगे।"

जोनी अंकल ने अपनी पत्नी और अपने बेटे को साथ लिया और हमारे साथ चर्च पहुंचे। चर्च में जोनी अंकल की देखा-देखी राजू और उसके पापा ने भी प्रार्थना की और फिर वो लोग मार्केट पहुंचे। उन लोगों ने क्रिसमस ट्री ख़रीदा और साथ में बहुत सारे गिफ्ट भी। वे सब लोग उनको लेकर जोनी अंकल के घर पहुंचे वहाँ पर उन्होंने क्रिसमस ट्री को सजाया। फिर राजू के पापा बोले. "अब जोनी जी आप हमारे घर आमंत्रित हैं हम सब लोग वहाँ पर पकवान खायेंगे और फिर पूरे मोहल्ले को हम साथ में ही गिफ्ट देंगे।"

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