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बाल एवं युवा साहित्य >> आओ बच्चो सुनो कहानी

आओ बच्चो सुनो कहानी

राजेश मेहरा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :103
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10165

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किताबों में तो बच्चो की सपनों की दुनिया होती है।

राजू और बीरू का पेपर समाप्त हुआ तो रास्ते में राजू ने बीरू से कहा, "देखना आज के बाद के पेपरों में तुम्हारे अच्छे नंबर आयंगे और तुम्हारा ये भ्रम भी टूट जायेगा कि वे सारे टीचर तुम्हारे खिलाफ हैं।"

राजू और बीरू ने अगले सारे पेपर साथ पढ़ कर और कड़ी मेहनत कर के दिए। बीरू भी अब पढ़ाई पर अच्छी तरह से ध्यान दे रहा था। उसका आत्मविश्वास बढ़ता गया और वो दिन प्रतिदिन कड़ी मेहनत करने लगा। वो कोई भी कठिनाई में पड़ता तो राजू से पूछ लेता था और राजू भी उसकी खूब मदद करता। उनके एग्जाम ख़तम हो गए थे और चार दिन बाद उनका रिजल्ट आना था। राजू तो आस्वस्त था कि वो अच्छे नंबरों से पास होगा।

रिजल्ट का दिन आया। राजू अपनी क्लास में फर्स्ट आया था और बीरू सेकंड।

टीचर्स ने क्लास में कहा, "बीरू तुमने तो अच्छी मेहनत की है इस बार यदि तुम अपने पहले दो पेपरों में भी थोड़ी और मेहनत करते तो राजू से अच्छे नंबर ला सकते थे। टीचर्स ने बीरू को अच्छी मेहनत के लिए बधाई दी। राजू को तो सारे टीचर्स जानते थे के ये तो अच्छे नंबर लाएगा ही तो उन्होंने राजू के लिए क्लास में तालियाँ बजवाई। बीरू की आँखों में आँसू आने ही वाले थे कि राजू उठा और अपनी टीचर से बोला, "मैम, मैं कुछ कहना चाहता हूँ।" तो टीचर बोली, "हां कहो।"

वो बोला, "मैम, ये बीरू आप सब लोगों से नफरत करता था। ये सोचता था कि सारे टीचर मुझसे चिढ़कर ही अच्छे नंबर नहीं देते इसलिए मैंने इसे अपने साथ मेहनत से पढने के लिए कहा और देखो वह कितने अच्छे नंबर लाया है।"

टीचर बोली, "बीरू ये बात अपने दिमाग से निकाल दो कि कोई टीचर अपने स्टूडेंट्स से चिढ़ता है। केवल स्टूडेंट ही है जो अपने आप को टीचर के सामने साबित नहीं कर पाता। आज देखो तुम अच्छे नंबर लाये हो तो मैंने तुम्हारा सम्मान भी किया है। सारे स्टूडेंट्स टीचर के लिए बराबर होते हैं।"

बीरू की आँखों में आंसू थे। उसने खड़े होकर राजू को थैंक्यू कहा और टीचर्स से माफ़ी मांगी कि आज के बाद मैं अपने मन में सब टीचर्स के प्रति सम्मान रखूंगा और उनको भला बुरा नहीं कहूँगा।

सारी क्लास ने बीरू के लिए तालियाँ बजाई। राजू आज फिर बड़ा खुश था।

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