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बाल एवं युवा साहित्य >> आओ बच्चो सुनो कहानी

आओ बच्चो सुनो कहानी

राजेश मेहरा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :103
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10165

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किताबों में तो बच्चो की सपनों की दुनिया होती है।

पश्चाताप


राजू बाजार से घर की तरफ लौट रहा था तभी उसने देखा कि उसका दोस्त बीरू सड़क के किनारे खड़ा था और आने- जाने वाली लड़कियों की तरफ गलत कमेंट्स कर रहा था।

राजू को देख कर वो थोड़ा सतर्क हुआ लेकिन राजू ने सब देख लिया था। वह बीरू से बोला, "ये सब गलत बात है और तुम तो मेरे अच्छे दोस्त हो तब भी ऐसी हरकत कर रहे हो। तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए। हर लड़की किसी ना किसी की तो बहन होती है और अगर यही कोई तुम्हारी बहन के साथ करे तो कैसा लगेगा।"

बीरू को लेकिन कुछ भी फर्क नहीं पड़ा और उसने राजू की बातों को अनसुना कर दिया और फिर से लड़कियों पर कमेंट्स करना शुरू कर दिया।

राजू वहाँ से घर की तरफ चल दिया। रास्ते में उसे बीरू की बहन मिली। राजू भी उसे अपनी बहन की तरह ही सम्मान देता था। उसने उसको पुकारा, "दीदी, जरा सुनना।"

राजू के आवाज देने पर वह रुक गई और पूछा, "अरे राजू! कहाँ से आ रहे हो?" तो राजू बोला, "दीदी बाजार गया था, थोड़ा सामान मंगाया था माँ ने।"

फिर राजू ने पूछा, "दीदी कहाँ से आ रही हो?"

तो वो बोली, "मैं और बीरू भी बाजार गए थे सामान के लिए, लेकिन बीरू कह रहा था उसको काम है आप चलो तो मैं उसे पीछे छोड़ कर आ गई।"

राजू ने कहा, "दीदी, बीरू आजकल कुछ ज्यादा ही बिगड़ गया है उसको थोड़ी डांट देनी पड़ेगी।" तो दीदी ने पूछा, "राजू क्या बात है? मुझे बताओ, मैं उसे समझाऊंगी।"

राजू ने उसकी दीदी को बीरू के लड़कियों पर कमेंट्स करने की बात बता दी। वो पहले तो शांत रही, उसके बाद बोली, "राजू बहुत से लोगों ने बीरू की इस हरकत के बारे में मुझे बताया था पर मुझे विश्वास नहीं हो रहा था। लेकिन अब तुम भी कह रहे हो तो आज आने दो उसे, मैं अपने पापा से कह कर उसे सबक सिखवाती हूँ।"

राजू इस पर बोला, "नहीं दीदी, उससे वो समझेगा कि मैंने उसकी शिकायत की है और वो मुझसे रूठ जायेगा। मैं चाहता हूँ कि हम दोनों मिलकर उसे सुधारें। यदि अंकल से आप उसे डांट लगवाएँगी तो वो कुछ दिन तो ये हरकत छोड़ देगा लेकिन उसको हमेशा के लिए नहीं छोड़ेगा।"

बीरू की दीदी ने पूछा, "हम ये सब कैसे कर सकते हैं?"

राजू ने बीरू की दीदी के कान में कुछ कहा तो वह समझ गई। उसने राजू को अपने भाई को सुधारने में उसकी मदद करने के लिए थैंक्यू कहा।

"दीदी, इसमें थैंक्यू की कोई बात नहीं। बीरू मेरा भी अच्छा दोस्त है लेकिन वह कुछ बिगड़ गया है, हमें केवल उसे रास्ते पर लाना है।"

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