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जीवनी/आत्मकथा >> हेरादोतस

हेरादोतस

सुधीर निगम

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :39
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10542

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जैसा कि आलोचकों ने कहा है हेरादोतस ने अपने इतिहास ग्रंथ में इतिहासेतर कथाएं जोड़ दी हैं। कुछ कथाएं वास्तविक यानी उसकी देखी हुई हैं और कुछ मिथक हैं। जैसा कि पहले कहा जा चुका है, उस समय लेखकों को अपनी पुस्तकों का श्रोताओं के समक्ष वाचन करना पड़ता था अतः पाठ्य का मनोरंजक होना, शब्दाडंबरपूर्ण होना आवश्यक होता था ताकि श्रोता मूल कथ्य सुनने के लिए डटे रहें। इन कहानियों का जायजा लेने के लिए यहां दो उदाहरण प्रस्तुत हैं। पहली कहानी मगर के बारे में है-  

‘‘मगर की प्रवृत्ति ऐसी होती है - सबसे ठंडे चार महीनों के दौरान वह कुछ नहीं खाता है और, हालांकि उसके चार पैरे होते हैं, वह उभयचर है। वह जमीन पर अंड़े देता है और वे वहीं फूटते हैं। दिन का अधिकांश भाग वह पृथ्वी पर व्यतीत करता है परंतु रात भर नदी (पानी) में रहता है क्योंकि बाहर की ओस और हवा की नमी की तुलना में पानी उस समय गरम होता है। हम जितने भी जीव-जंतुओं से अवगत हैं उनमें से मगर, जो शुरू में छोटा होता है, सबसे बड़ा जीव है। हालांकि यह हंस के अंडे़ से थोड़े ही बड़े अंडे़ देता है और इसका बच्चा भी शुरू में अंड़े के ही बराबर होता है पर बाद में इसकी लम्बाई 17 हाथ या उससे अधिक हो जाती है। इसकी आँखें सुअर की तरह होती हैं और शरीर के अनुपात में दांत बड़े और बाहर निकले होते हैं। केवल यही ऐसा जानवर है जो ऊपरी जबड़ा नहीं चलाता ऊपरी जबड़ा निचले जबड़े के नीचे ले जा सकता है। इसके पांव शक्तिशाली और नाखूनदार होते हैं; खाल पर एक कठोर पदार्थ चढ़ा होता है जिस कारण उसकी पीठ अभेद्य हो जाती है। पानी के भीतर वह अंधा हो जाता है जबकि बाहर उसकी आंखें बड़ी तेज होती हैं। सभी पक्षी और जंगली पशु उससे दूर रहते हैं किंतु मरमर चिड़िया (हमिंग बर्ड) से उसकी खूब पटती है क्योंकि वह पक्षी उसके लिए उपयोगी होता है। जब मगर पानी के बाहर आता है और अपना जबड़ा खोलता है तब मरमर चिड़िया उसके मुख में घुसकर वहाँ चिपकी जोंकें बीन-बीनकर साफ कर देती है; उसकी इस सेवा से वह इतना प्रसन्न होता है कि उसे कभी कोई नुकसान नहीं पहुंचाता।’’...

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