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जीवनी/आत्मकथा >> हेरादोतस

हेरादोतस

सुधीर निगम

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :39
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10542

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दूसरी कहानी या कहें मिथक वृत्तांत यों है - ‘‘कहा जाता है कि फीनिक्स नाम का एक पवित्र पक्षी होता है जिसे मैंने चित्रों के अलावा कहीं नहीं देखा है, क्योंकि वह कभी-कभी ही दिखाई देता है। जैसे कि मिस्र के पुजारी बताते हैं, वह अपने जनक की मृत्यु के पांच सौ वर्ष बाद बस एक बार आता है। अगर वह चित्र के अनुसार हो तो उसका आकार-प्रकार और विवरण कुछ इस प्रकार होगा: उसके पंखों का बाहरी हिस्सा अंशतः लाल और सुनहरा होता है; उसका बाह्य आकार बहुत कुछ चील की तरह होता है। उसके क्रियाकलापों के बारे में वे जो बताते हैं उस पर मुझे विश्वास नहीं है। वे कहते हैं कि यह पक्षी अरब देश से आता है और सूर्य देव के मंदिर में रखने के लिए, लोबान में लिपटा हुआ अपने पिता का शव लाता है और मंदिर में उसे दफना देता है। शव लाने का उसका तरीका यह है: पहले वह गोंद का एक इतना बड़ा अंड़ा बनाता है जितना वह ले जा सके; फिर उसको ले जाने का अभ्यास करता है। उसके बाद वह अंडे को खोखला कर देता है और अपने पिता का शव उसमें रखता है, जब उसका पिता अंदर स्थापित हो जाता है तो उसका वजन वहीं रखता जो शुरू में था; फिर उस छेद को बंद करके अंडे को मिस्र के सूर्य मंदिर में ले जाता है। वे कहते हें कि यह सब एक पक्षी द्वारा किया जाता है।’’

जीवंत रिपोर्टिग के ये दो उदाहरण हैं। पहली रिपोर्ट संक्षिप्त, विश्वस्त और यथार्थ है। इसे हेरादोतस ने अपने अवलोकन और प्रज्ञान के बाद लिखा है; दूसरी रिपोर्ट प्रांजल शैली में लिखी गई है लेकिन लेखक ने यह कहकर अपनी शंकाएं प्रकट कर दी हैं कि यह एक अच्छी कहानी है लेकिन उसे इस पर विश्वास नहीं है। ‘उनका कहना है’ और ‘वे पुष्टि करते हैं’ वाक्याशों की छौंक इतनी उदारता से लगाई है कि यह किस्सा इतिहास में चला गया है।

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