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जीवनी/आत्मकथा >> सुकरात

सुकरात

सुधीर निगम

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :70
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 10548

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पढिए सत्य और न्याय की खोज करने वाले सुकरात जैसे महामानव की प्रेरक संक्षिप्त जीवनी जिसने अपने जीवन में एक भी शब्द नहीं लिखा- शब्द संख्या 12 हजार...



पैगम्बर सुकरात

अहमदिया मुस्लिम संप्रदाय के चौथे खलीफा मिर्जा ताहिर अहमद अपनी पुस्तक ‘रेवीलेशन, रेसनेलिटी, नालेज एण्ड ट्रूथ’ में सुकरात को प्राचीन यूनान का पैगम्बर बताते हैं। सुकरात में पैगम्बर के प्रत्यक्ष गुणों पर विचार हो सकता है। वे सदा एक दैवी प्रेरणा और स्वप्न की बात करते थे कि कैसे वह प्रेरणा नैतिक घेरे का काम करती थी और उन्हें दुर्गुणों से दूर रखती थी। इसे इल्हाम का स्थानापन्न माना जा सकता है। पैगम्बरों की तरह सुकरात भी ईश्वर को बहुवचन में नहीं एक वचन में संदर्भित करते थे और यूनानी देवी-देवताओं के मंदिरों को नकारते थे। उनका उल्लेख तभी करते थे जब उन्हें झूठा सिद्ध करना हो।

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कवि सुकरात

सुकरात के लिए प्रसिद्ध है कि उन्होंने, यीशु और कबीर की तरह, जीवन भर कुछ नहीं लिखा। उनके विचार शिष्य प्लेटो और जे़नोफोन ने संकलित किए और पुस्तकाकार रूप में प्रकाषित कराए। कारावास में मृत्युदंड की प्रतीक्षा उन्हें एक माह तक करनी पड़ी क्योंकि उसी बीच एक पवित्र सार्वजनिक पर्व पड़ गया। इसी अवधि में सुकरात ने अपोलों की स्तुति में एक स्त्रोत लिखा और ईसोप की कहानियों को पद्यबद्ध किया। इस संबंध में पूछे जाने पर सुकरात ने बताया कि यह कार्य उन्होंने स्वप्न के दौरान मिले आदेश पर किया है। उनका कहना था, ‘‘अक्सर मुझे स्वप्न में संगीत रचना करने के लिए संकेत मिलते रहे, पर मैं यही समझा कि ये संकेत मुझे दर्शन का अध्ययन करने को प्रेरित कर रहे हैं। अब चूंकि पर्व के कारण मेरी मृत्यु महीने भर के लिए टल गई है इसलिए मैंने सोचा कि मृत्यु के पूर्व मुझे स्वप्न के आदेशानुसार कुछ पद्यों की रचनाकर लेनी चाहिए। अतः मैं काव्य रचना में प्रवृत्त हुआ हूं।’

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