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आरोग्य कुंजी

महात्मा गाँधी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :45
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 1967

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गाँधी जी द्वारा स्वास्थ्य पर लिखे गये लेख


अब गरम पानीके उपचारोंके बारेमें विचार करें। गरम पानीका समझपूर्वक उपयोग करनेसे अनेक रोग शान्त हो जाते हैं। जो काम प्रसिद्ध दवा आयोडीन करती है, वही काम काफी हद तक गरम पानी कर देता है। सूजनवाले भाग पर हम आयोडीन लगाते हैं। उस पर गरम पानीकी पट्टी रखनेसे आराम होना संभव है। कानके दर्दमें हम आयोडिनकी बुंदे डालते हैं; उसमें भी गरम पानीकी पिचकारी लगानेसे दर्द शांत होनेकी संभावना है। आयोडीनके उपयोगमें कुछ खतरा रहता है, जब कि गरम पानी के उपचारमें कुछ भी नहीं। जिस तरह आयोडीन जंतुनाशक (disinfectant) है, उसी तरह उबलता गरम पानी भी जन्तुनाशक है। इसका यह अर्थ नहीं है कि आयोडीन उपयोगी वस्तु नहीं है। उसकी उपयोगिताके बारेमें मेरे मनमें तनिक भी शंका नहीं है। मगर गरीबके घरमें आयोडीन नहीं होता। वह महंगी चीज़ है। वह हरएक आदमीके हाथमें नहीं रखा जा सकता। मगर पानी तो हर जगह होता है। इसलिए हम दवाके तौर पर उसके उपयोगकी अवगणना करते हैं। ऐसी अवगणनासे हमें बचना चाहिये। ऐसे घरेलू उपचारोंको सीखकर और उन्हें अपनाकर हम अनेक भयोंसे बच जाते हैं।

बिच्छुके काटेको जब दूसरी किसी चीजसे फ़ायदा नहीं होता, तब डंकवाले भागको गरम पानीमें रखनेसे कुछ आराम तो मिलता ही है 1
एकाएक सर्दी लगे, कंपकंपी चढने लगे, तब रोगीको भाप देनेसे, या उसे अच्छी तरह कम्बल ओढ़ाकर उसके चारों ओर गरम पानीकी बोतलें रखनेसे उसकी कंपकंपी मिटायी जा सकती है। सबके पास रबड़की गरम पानीकी थैली नहीं होती। कांचकी मजबूत बोतलमें मजबूत कॉर्क लगाकर उसे गरम पानीकी थैलीके तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। धातुकी या दूसरी बोतल बहुत गरम हो, तो उसे कपड़ेमें लपेटकर इस्तेमाल करना चाहिये।

भापके रूपमें पानी बहुत काम देता है। पसीना न आता हो तो भापके द्वारा लाया जा सकता है। गठियासे जिसका शरीर निकम्मा बन गया हो, या जिनका वजन बहुत बढ़ गया हो, उनके लिए भाप बहुत उपयोगी वस्तु है।

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