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परशुराम की प्रतीक्षा

रामधारी सिंह दिनकर

प्रकाशक : लोकभारती प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :80
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 1969

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रामधारी सिंह दिनकर की अठारह कविताओं का संग्रह...


सोये हैं जो रणावली, उन्हें टेरो रे !
नूतन पर अपनी शिखा प्रत्न फेरो रे !

झकझोरो, झकझोरो महान् सुप्तों को,
टेरो, टेरो चाणक्य – चन्द्रगुप्तों को ;
विक्रमी तेज, असि की उद्दाम प्रभा को,
राणा प्रताप, गोविन्द, शिवा, सरजा को ;

वैराग्यवीर, वन्दा फकीर भाई को,
टेरो, टेरो माता लक्ष्मीबाई को।

आजन्म सहा जिसने न व्यंग्य थोड़ा था,
आजिज आ कर जिसने स्वदेश छोड़ा था,
हम हाय, आज तक जिसको गुहराते हैं,
नेताजी, अब आते हैं, अब आते हैं ;

साहसी, शूर-रस के उस मतवाले को,
टेरो, टेरो, आजाद हिन्दवाले को ।

खोजो, टीपू सुलतान कहाँ सोये हैं?
अशफ़ाक और उसमान कहाँ सोये हैं?
बमवाले वीर जवान कहाँ सोये हैं?
वे भगतसिंह बलवान कहाँ सोये हैं?

जा कहो, करें अब कृपा, नहीं रूठे वे,
बम उठा आज के सदृश व्यग्र टूटें वे।

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