ई-पुस्तकें >> देवकांता संतति भाग 7 देवकांता संतति भाग 7वेद प्रकाश शर्मा
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चंद्रकांता संतति के आधार पर लिखा गया विकास विजय सीरीज का उपन्यास...
मैं आज की रात दारोगा से मिलूंगा। उससे सारी बात साफ-साफ कहूंगा। या तो वह कलमदान के डर से अपना इरादा बदलेगा अन्यथा मैं कलमदान उमादत्त के पास पहुंचाकर आत्महत्या कर लूंगा। वैसे पहले मेरी कोशिश यही रहेगी कि न तो कलमदान उमादत्त के पास तक ले जाने की जरूत पड़े और न ही मेरा भेद खुले। कलमदान का भेद खोलने का मतलब है आत्महत्या। इसलिए मैं ये कोशिश करूंगा कि बिना ऐसे हालात बनाए ही अपना मतलब सीधा कर लूं - लेकिन अगर मैं इसमें नाकाम रहा तो आत्महत्या करने के लिए मैं मजबूर हो जाऊंगा। आप समझ सकते हैं कि आज मैं एक बहुत ही खतरे का काम करने जा रहा हूं पता नहीं जिंदा रहूं या मरूं।
पता नहीं - इस कलमदान में मैं अपनी आज की कार्यवाही का हवाला कागज पर लिखकर रख सकूंगा या नहीं। अगर कलमदान में किसी को इतने ही कागज मिलें तो समझना कि मैं मारा गया। जिंदा रहा तो आज की कार्यवाही से ताल्लुक रखने वाला कागज इसमें और होगा।
अभी मैं ये नहीं सोच पाया हूं कि इस कलमदान को कहां और किस ढंग से हिफाजत से रखना चाहिए - मगर इतना मुझे यकीन है कि अगर मैं मारा भी गया तो भी मैं ये कलमदान दारोगा या उसके किसी पक्षधर के हाथ न लगने दूंगा। जिंदा रहा तो इस कलमदान के पाठकों से फिर मिलूंगा, न रहा तो - अलविदा।
लेकिन हां - एक बात आपसे भी कहनी है। मेरी मौत के बाद भी आप कभी दारोगा को उसके इरादों में कामयाब मत होने देना।
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