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ई-पुस्तकें >> शिव पुराण 4 - कोटिरुद्र संहिता शिव पुराण 4 - कोटिरुद्र संहिताहनुमानप्रसाद पोद्दार
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भगवान शिव की महिमा का वर्णन...
ऋषि बोले- सूतजी! आपने सम्पूर्ण लोकोंके हितकी कामनासे माना प्रकारके आख्यानोंसे युक्त जो शिवावतारका माहात्म्य बताया है वह बहुत ही उत्तम है। तात! आप पुन: शिवके परम उत्तम माहात्म्य का तथा शिवलिंगकी महिमाका प्रसन्नतापूर्वक वर्णन कीजिये। आप शिवभक्तोंमें श्रेष्ठ है अत: धन्य हैं। प्रभो! आपके मुखारविन्दसे निकले हुए भगवान् शिवके सुरम्य यशरूपी अमृतका अपने कर्णपुटोंद्वारा पान करके हम तृप्त नहीं हो रहे है अत: फिर उसीका वर्णन कीजिये। व्यासशिष्य! भूमण्डलमें, तीर्थ-तीर्थमें जो-जो शुभ लिंग हैं अथवा अन्य स्थलोंमें भी जो-जो प्रसिद्ध शिवलिंग विराजमान हैं, परमेश्वर शिवके उन सभी दिव्य लिंगोंका समस्त लोकोंके हितकी इच्छासे आप वर्णन कीजिये।
सूतजीने कहा- महर्षियो! सम्पूर्ण तीर्थ लिंगमय हैं। सब कुछ लिंगमें ही प्रतिष्ठित है। उन शिवलिंगोंकी कोई गणना नहीं है तथापि मैं उनका किंचित् वर्णन करता हूँ। जो कोई भी दृश्य देखा जाता है तथा जिसका वर्णन एवं स्मरण किया जाता है वह सब भगवान् शिवका ही रूप है; कोई भी वस्तु शिवके स्वरूपसे भिन्न नहीं है। साधूशिरोमणियो! भगवान् शस्त्रने सब लोगोंपर अनुग्रह करनेके लिये ही देवता, असुर और मनुष्योंसहित तीनों लोकोंको लिंगरूपसे व्याप्त कर रखा है। समस्त लोकोंपर कृपा करनेके उद्देश्यसे ही भगवान् महेश्वर तीर्थ-तीर्थमें और अन्य स्थलोंमें भी नाना प्रकारके लिंग धारण करते हैं। जहाँ-जहाँ जब-जब भक्तोंने भक्तिपूर्वक भगवान् शम्भु का स्मरण किया, तहाँ-तहाँ तब-तब अवतार ले कार्य करके वे स्थित हो गये; लोकोंका उपकार करनेके लिये उन्होंने स्वयं अपने स्वरूपभूत लिंगकी कल्पना की। उस लिंगकी पूजा करके शिवभक्त पुरुष अवश्य सिद्धि प्राप्त कर लेता है। ब्राह्मणो! भूमण्डलमें जो लिंग हैं, उनकी गणना नहीं हो सकती; तथापि मैं प्रधान-प्रधान शिवलिंगोंका परिचय देता हूँ। मुनिश्रेष्ठ शौनक! इस भूतलपर जो मुख्य-मुख्य ज्योतिर्लिंग है उनका आज मैं वर्णन करता हूँ। उनका नाम सुननेमात्रसे पाप दूर हो जाता है। सौराष्ट्रमें सोमनाथ, श्रीशैलपर मल्लिकार्जुन, उज्जैनीमें महाकाल, ओकारतीर्थमें परमेश्वर, हिमालयके शिखरपर केदार, डाकिनीमें भीमशंकर, वाराणसीमें विश्वनाथ, गोदावरीके तटपर त्र्यम्बक, चिताभूमिमें वैद्यनाथ, दारुकावनमें नागेश, सेतुबन्धमें रामेश्वर तथा शिवालयमें घुश्मेश्वर का स्मरण करे। जो प्रतिदिन प्रातःकाल उठकर इन बारह नामों का पाठ करता है वह सब पापों से मुक्त हो सम्पूर्ण सिद्धियों का फल प्राप्त कर लेता है।
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