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उपन्यास >> आशा निराशा

आशा निराशा

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :236
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 7595

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जीवन के दो पहलुओं पर आधारित यह रोचक उपन्यास...


‘‘मैं समझती हूं कि मैत्रेयी को समझाने से अधिक प्रोफ़्रेसर को समझाने की आवश्यकता होगी। इस कारण आप भी चलिये।’’

‘‘मेरे काम का बहुत हर्ज होगा।’’

‘‘अब काम कब तक करते रहियेगा?’’

‘‘अभी तो मैं सर्वथा युवा हूं। मेरी आयु अभी साठ वर्ष के लगभग ही है। यदि भारत को स्वराज्य न मिला होता तो मैं अभी तक सैक्रेटरी ऑफ स्टेट के कार्यालय की फाइलें ही निरीक्षण करता होता।’’

‘‘इस पर भी मेरा आग्रह है कि आप भी चलिये। हम आज चार बजे के हवाई जहाज से जायेंगे। रात वहां मैत्रेयी और उसके मंगेतर को समझाने का यत्न करेंगे और प्रातः सात बजे के ‘प्लेन’ से लौट आयेंगे।’’

मिस्टर बागड़िया तैयार हो गया।

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